इंसान कहीं का भी नहीं रहता, गर दिल बंजर हो जाए।
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रोजाना आने लगे , बादल अब घनघोर (कुंडलिया)
चिट्ठी तेरे नाम की, पढ लेना करतार।
डरे गड़ेंता ऐंड़ाने (बुंदेली गीत)
बुलन्द होंसला रखने वाले लोग, कभी डरा नहीं करते
अज्ञानी की कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
आपकी खुशहाली और अच्छे हालात
कहीं और हँसके खुशियों का इज़हार करते हैं ,अपनों से उखड़े रहकर
शायरी संग्रह नई पुरानी शायरियां विनीत सिंह शायर