Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2023 · 4 min read

सोशलमीडिया की दोस्ती

विद्या नाम की एक लड़की सातवीं कक्षा में पढ़ती थी। वह बहुत प्रतिभाशाली होने के साथ-साथ बुद्धिमान भी थी। लॉकडाउन के दौरान उसको ऑनलाइन क्लास के लिए एक मोबाइल फोन और एक लैपटॉप मिला। उसके माता-पिता ने उसे बुद्धिमानी से उपकरणों का उपयोग करने के लिए कहा। वह उन उपकरणों का उपयोग करने के लिए बहुत उत्साहित थी। उसने फोन चालू किया और क्लास अपडेट के लिए उस पर व्हाट्सएप इंस्टॉल किया। उसके कुछ सहपाठियों ने कक्षा में पढ़ाए जाने वाले कॉन्सेप्ट को समझने के बहाने से उसे मैसेज करना शुरू कर दिया। विद्या हमेशा उनकी मदद के लिए तैयार रहती थीं। विद्या रोजाना अपने दोस्तों के साथ व्यस्त हो जाती थी। बीच-बीच में उसकी सहेलियाँ चुटकुला सुनाती थीं,जो विद्या की समझ में नहीं आता था। जिस वजह से उसके दोस्तों ने उसे बेवकूफ कहना शुरू कर दिया।जिससे वह यह सोचने पर मजबूर हो गई कि क्या वह वास्तव में बेवकूफ है? वह किसी से पूछना चाहती थी, लेकिन उसे कोई नहीं मिला जो उसके सवालों का जवाब दे सके। वह बहुत अकेला महसूस करने लगी|यहाँ तक कि वह अपने परिवार से भी दूर रहने लगी।उसे अपने मम्मी-पापा की दखलंदाजी भी पसंद नहीं आने लगी।बस वो अकेले रहना चाहती थी,अपने दोस्तों के साथ उसे भी अपने दोस्तों के तरह बनना था।एक दिन उसने अपने दोस्तों से पूछा -कि स्मार्ट कैसे बनें, तो उसकी एक सहेली ने उसे “इंस्टाग्राम” नामक एक नए सामाजिक मंच से परिचित कराया। विद्या ने इंस्टाग्राम खोला और उन सभी साइटों का पता लगाया, जो उसे अपने दोस्तों के बीच स्मार्ट बनने में मदद करेंगे।वहाँ वह भी नये-नये रील्स बना कर डलने लगी।उसके अंदर भी अधिक से अधिक लाइक कॉमेन्टस् की भूख जगने लगी। उसके लिए वो हर रोज नये-नये पेंतरे आजमाने लगी।लेकिन वो फिर भी दोस्तों के बीच स्मार्ट नहीं बन सकी। उसने सभी चुटकुलों के अर्थ खोजने शुरू कर दिए और कई निषिद्ध साइटों में कूद गई जिससे उसका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। स्मार्ट होने के बजाय वह क्लास में फेल होने लगी। सौ प्रतिशत अंक लाने वाली विद्या तीस प्रतिशत पर आ गई।वह इससे और भी घबड़ा चूकी थी।स्कूल के शिक्षक भी आवाक थे।वो घीरे-धीरे सबकी नजरों से गिर रही थी। जो उसके लिए असहनीय था।जो विद्या स्कूल में पढाई के साथ-साथ हर क्षेत्र में अव्वल थी, वो आज कहीं नहीं थी, उसका मन अब किसी चीज में नहीं लगता था।वह एंग्जाइटी का शिकार हो चूकी थी, डिप्रेशन में भी जाने लगीं थी। वह सोचने लगी कि दुनिया कितनी बुरी है| मैं इस बुरी दुनिया में नहीं रहना चाहती। एक दिन ज़िन्दगी से बहुत निराश हो वह अपने बड़े भाई के पास पहुंची| उसने अपने बड़े भाई से सब कुछ साझा किया तो उसके भाई ने बताया कि यह सामान्य है। वह उसके जवाब से चौंक गई। उसने दुनिया के लोगों से दूर रहने का फैसला किया। उसने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया और किसी से भी बातचीत करना बंद कर दिया। वह घुटन और चिड़चिड़ापन महसूस करने लगी। रात-रात भर जगती, तो कभी-कभी दिन भर सोई रहती थी।उसके इस व्यवहार से उसकी माँ बहुत परेशान थी,पर वो किसी की नहीं सुनती थी।अकेले कमरे में कभी -कभी बहुत रोती उसकी सिसकियों की आवाज कमरे में गूँजती।जब भी उसकी माँ उसे किसी पारिवारिक सभा में शामिल होने के लिए कहती तो वह मना कर देती। बहुत अनुरोध के बाद वह सभा में भाग लेने के लिए तैयार तो होती मगर हमेशा हर किसी के इरादे पर शक करती| वह हर किसी से दूर होने लगी।उसके अंदर जीवन जीने की इच्छा भी समाप्त हो चूकी थी, वो अपने आप से नफरत करने लगी थी।कई बार वह अपने माँ से कह देती मैं जीना नहीं चाहती हूँ। मुझे नहीं जीना। विद्या के ये असामान्य बरताव धीरे -धीरे उसकी माँ को परेशान करने लगे| उन्होंने विद्या से बात करने की कोशिश की लेकिन वह हमेशा एक लंबी बहस में परिवर्तित हो जाती। उसकी माँ ने उसके पिता से बात की और उसकी मदद करने का फैसला किया। वे उसे पार्षद/मनोचिकित्सक के पास ले गए। जिससे उसे अपने डिप्रेशन से उबरने में मदद मिले। उसकी माँ ने उसकी सहेली बनने की पूरी कोशिश की, और काफी जद्दोजहद के बाद उसकी माँ ने उसके मन को प्यार से सींचा। उसके मन में जीवन जीने की एक नई आशा जगाई। उसके मन से सारे विकार को दूर किये।उसे सोशलमीडिया का सही उपयोग बताया।और कितना करना है, ये भी समझाया, धीरे-धीरे उसका ध्यान पढ़ाई की ओर ढाला।समय लगा पर विद्या फिर से पहले जैसी हो गई।वही खुशनुमा मीजाज जिन्दादिली से जीने वाली विद्या।विद्या ने सीबीएसई बोर्ड में अपने स्कूल में सबसे प्रथम स्थान लाकर स्कूल वालों को चौका दिया।अब विद्या का आत्म -विश्वास देखने लायक था।इसके लिए विद्या अपनी माँ की तहेदिल से शुक्र गुजार है। क्योंकि अगर उसकी माँ नहीं होती तो पता नहीं विद्या का क्या होता।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

4 Likes · 6 Comments · 163 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सबसे ज्यादा विश्वासघात
सबसे ज्यादा विश्वासघात
ruby kumari
*छलने को तैयार है, छलिया यह संसार (कुंडलिया)*
*छलने को तैयार है, छलिया यह संसार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सत्ता की हवस वाले राजनीतिक दलों को हराकर मुद्दों पर समाज को जिताना होगा
सत्ता की हवस वाले राजनीतिक दलों को हराकर मुद्दों पर समाज को जिताना होगा
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
2023
2023
AJAY AMITABH SUMAN
औरों के धुन से क्या मतलब कोई किसी की नहीं सुनता है !
औरों के धुन से क्या मतलब कोई किसी की नहीं सुनता है !
DrLakshman Jha Parimal
कभी रहे पूजा योग्य जो,
कभी रहे पूजा योग्य जो,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कुदरत मुझको रंग दे
कुदरत मुझको रंग दे
Gurdeep Saggu
जो लिखा नहीं.....लिखने की कोशिश में हूँ...
जो लिखा नहीं.....लिखने की कोशिश में हूँ...
Vishal babu (vishu)
मुझे तरक्की की तरफ मुड़ने दो,
मुझे तरक्की की तरफ मुड़ने दो,
Satish Srijan
तेरा मेरा रिस्ता बस इतना है की तुम l
तेरा मेरा रिस्ता बस इतना है की तुम l
Ranjeet kumar patre
नफ़रत की आग
नफ़रत की आग
Shekhar Chandra Mitra
नया साल
नया साल
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मोल
मोल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
सुलगते एहसास
सुलगते एहसास
Surinder blackpen
जनता जनार्दन
जनता जनार्दन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कब मैंने चाहा सजन
कब मैंने चाहा सजन
लक्ष्मी सिंह
""मेरे गुरु की ही कृपा है कि_
Rajesh vyas
भाईदूज
भाईदूज
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
पिता संघर्ष की मूरत
पिता संघर्ष की मूरत
Rajni kapoor
ज़िन्दगी नाम है चलते रहने का।
ज़िन्दगी नाम है चलते रहने का।
Taj Mohammad
घायल तुझे नींद आये न आये
घायल तुझे नींद आये न आये
Ravi Ghayal
मेरी पलकों पे ख़्वाब रहने दो
मेरी पलकों पे ख़्वाब रहने दो
Dr fauzia Naseem shad
मेला लगता तो है, मेल बढ़ाने के लिए,
मेला लगता तो है, मेल बढ़ाने के लिए,
Buddha Prakash
💐प्रेम कौतुक-255💐
💐प्रेम कौतुक-255💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
पावन सावन मास में
पावन सावन मास में
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
परिणय प्रनय
परिणय प्रनय
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
"तेरे वादे पर"
Dr. Kishan tandon kranti
संस्कृति से संस्कृति जुड़े, मनहर हो संवाद।
संस्कृति से संस्कृति जुड़े, मनहर हो संवाद।
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...