Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Apr 2024 · 1 min read

“जलन”

“जलन”
कहते हैं लोग दुनिया के सारे
गिरगिट रंग बदलते हैं,
मगर नेता ऐसे बदल रहे रंग
कि गिरगिट सारे जलते हैं।
किसी के साथ सुबह दिखते
दोपहर में किसी और के,
शाम में दिख जाते अक्सर
कोई पार्टी संग नए दौर के।

1 Like · 1 Comment · 20 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-146 के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-146 के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Kahi pass akar ,ek dusre ko hmesha ke liye jan kar, hum dono
Kahi pass akar ,ek dusre ko hmesha ke liye jan kar, hum dono
Sakshi Tripathi
💐प्रेम कौतुक-528💐
💐प्रेम कौतुक-528💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’
ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जगत का हिस्सा
जगत का हिस्सा
Harish Chandra Pande
माँ सिर्फ़ वात्सल्य नहीं
माँ सिर्फ़ वात्सल्य नहीं
Anand Kumar
मित्र
मित्र
लक्ष्मी सिंह
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरी पसंद
मेरी पसंद
Shekhar Chandra Mitra
कविता
कविता
Rambali Mishra
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सिद्धार्थ गोरखपुरी
(21)
(21) "ऐ सहरा के कैक्टस ! *
Kishore Nigam
//खलती तेरी जुदाई//
//खलती तेरी जुदाई//
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
"एल्बम"
Dr. Kishan tandon kranti
"सत्ता व सियासत"
*Author प्रणय प्रभात*
शब्द : एक
शब्द : एक
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
*आचार्य बृहस्पति और उनका काव्य*
*आचार्य बृहस्पति और उनका काव्य*
Ravi Prakash
सरल जीवन
सरल जीवन
Brijesh Kumar
मुझको मालूम है तुमको क्यों है मुझसे मोहब्बत
मुझको मालूम है तुमको क्यों है मुझसे मोहब्बत
gurudeenverma198
मुझे बदनाम करने की कोशिश में लगा है.........,
मुझे बदनाम करने की कोशिश में लगा है.........,
कवि दीपक बवेजा
सिंहावलोकन घनाक्षरी*
सिंहावलोकन घनाक्षरी*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
‘ विरोधरस ‘ [ शोध-प्रबन्ध ] विचारप्रधान कविता का रसात्मक समाधान +लेखक - रमेशराज
‘ विरोधरस ‘ [ शोध-प्रबन्ध ] विचारप्रधान कविता का रसात्मक समाधान +लेखक - रमेशराज
कवि रमेशराज
अजब तमाशा जिन्दगी,
अजब तमाशा जिन्दगी,
sushil sarna
सवाल ये नहीं
सवाल ये नहीं
Dr fauzia Naseem shad
चिट्ठी   तेरे   नाम   की, पढ़ लेना सरकार।
चिट्ठी तेरे नाम की, पढ़ लेना सरकार।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मेरे भी थे कुछ ख्वाब,न जाने कैसे टूट गये।
मेरे भी थे कुछ ख्वाब,न जाने कैसे टूट गये।
Surinder blackpen
3337.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3337.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
17- राष्ट्रध्वज हो सबसे ऊँचा
17- राष्ट्रध्वज हो सबसे ऊँचा
Ajay Kumar Vimal
चाँद से मुलाकात
चाँद से मुलाकात
Kanchan Khanna
शायरी
शायरी
श्याम सिंह बिष्ट
Loading...