सरल जीवन
“जीवन दुखों का पुलिंदा है
मानव फिर भी जिंदा है
जिसने जीवन में दुखों का रसपान किया
उसी ने सुखों का गुणगान किया
दुख में दिन में तारे नजर आते गए
सुख में रात के तारे भूल गए
जीवन दुखों का पुलिंदा है
मानव फिर भी जिंदा है”