बच्चे पढ़े-लिखे आज के , माँग रहे रोजगार ।
So many of us are currently going through huge energetic shi
आँशु उसी के सामने बहाना जो आँशु का दर्द समझ सके
चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता - व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हम कुछ इस तरह समाए हैं उसकी पहली नज़र में,
*सहकारी युग (हिंदी साप्ताहिक), रामपुर, उत्तर प्रदेश का प्रथम
क्या हुआ गर तू है अकेला इस जहां में
जिंदगी रूठ गयी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
छाऊ मे सभी को खड़ा होना है
अफसोस है मैं आजाद भारत बोल रहा हूॅ॑
कई आबादियों में से कोई आबाद होता है।
शुभम दुष्यंत राणा shubham dushyant rana ने हितग्राही कार्ड अभियान के तहत शासन की योजनाओं को लेकर जनता से ली राय
प्रेम करने आता है तो, प्रेम समझने आना भी चाहिए
एक अबोध बालक डॉ अरुण कुमार शास्त्री
तेरे दर पे आये है दूर से हम
23/121.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*