तीसरी आंख को समझने के सरल तरीके, और जागृत कैसे करें, लाभ व उद्देश्य। रविकेश झा
नमस्कार दोस्तों आज बात कर रहे हैं तीसरी आंख तीसरा नेत्र क्या है और इसे कैसे जाने और जागृत दिशा में किसी बढ़े। कैसे तीसरा नेत्र को समझे कैसे पहचानें कैसे जागृत करें। हम प्रतिदिन जीवन जी रहे हैं और हम कुछ न कुछ जानते रहते हैं सीखते रहते हैं, जो भी दिखता है हम उसके प्रति जागरूक होते हैं। लेकिन हम अधिक बाहरी कड़ियां में उलझे रहते हैं और जीवन जब जटिल होता जाता है फिर हम हल के तरफ बढ़ते हैं। आज हम बात कर रहे हैं तीसरी आंख के बारे में, हमने सुना है शिव जी के बारे में की उनके तीन नेत्र हैं और वो त्रिकालदर्शी है ये सही बात है सत्य है शिव जैसे ध्यानी आज तक कोई भी नहीं हुआ है। शिव जी अनोखे है। हम भी तीसरा नेत्र जान सकते हैं और तीसरा नेत्र यानी आज्ञा चक्र को जान कर जीवन में जी उथल पुथल है उसे हम जागरूक और कुंडलियां के मदद से जीवन को सरल और संभावना को बढ़ा सकते हैं।
चलिए बात करते हैं तीसरा नेत्र के बारे में तो बिना देर किए आइए जानते हैं की तीसरा नेत्र क्या है और इसे कैसे जागृत करें। एक बात और अभी तक आप मेरे पिछले पोस्ट को नहीं पढ़ा है फिर अवश्य पढ़े और जानने का प्रयास करें, हमें खुशी होगी कि आप भी शांति और आनंद के तरफ बढ़ते रहे और जागते रहे। निरंतर जानते रहे। और पढ़ते रहे ताकि ज्ञान और अज्ञान के बीच हम ठहर सके और जीवंत हो सके।
तीसरी आंख नेत्र क्या है।
तीसरी आंख की अवधारणा को अक्सर चेतना के उच्च स्तर और आध्यात्मिक जागृति से जोड़ा जाता है। इसे आंतरिक क्षेत्रों और उच्च चेतना के स्थानों का प्रवेश द्वार माना जाता है। कई संस्कृतियां और आध्यात्मिक परंपराएं माथे के बीच में, भौहों के बीच की जगह से थोड़ा ऊपर स्थित इस रहस्यमयी आंख की बात करते हैं। तीसरी आंख को अक्सर अंतज्ञान, दिव्यदृष्टि और ज्ञान की गहरी भावना से जोड़ा जाता है। जब यह आंख खुली होती है, तो यह व्यक्ति सामान्य दृष्टि से परे देखने की अनुमति देती है। यह धारणा गहन अंतर्दृष्टि और ब्रह्मांड और स्वयं की अधिक समझ की ओर ले जा सकता है। आप इससे अपने आंतरिक और बाहरी कड़ियां को जोड़ता है देखने में स्पष्टता दिखाई देता है यह एक पुल के तरह काम करता है, आप इसके मदद से बाहर और अंदर आ जा सकते हैं, स्वयं को आज्ञा दे सकते हैं स्वयं के हिसाब से परिस्थिती हो जाता है। आप चौंक जाएंगे जब आप इसके दिशा को समझेंगे, आप सब कुछ जानने में सक्षम हो जाते हैं। आप बाहरी कड़ियां में भी उत्सुक होंगे क्योंकि जब तीसरा नेत्र आज्ञा चक्र खुल जाता है फिर आप स्वयं के साथ साथ परमात्मा, ये ब्रह्मांड को वैज्ञानिक और भावनात्मक रूप से भी जान सकते हैं। फिर आप एक आस्तिक और नास्तिक दोनों में जी सकते हैं दोनों को जानने में सक्षम हो सकते है। क्योंकि आस्तिक और नास्तिक दोनों संभावना आपके अंदर ही है। जब ऊर्जा मूलाधार चक्र से ऊपर उठता है ऊपर क्यों उठता है, बुद्धि के लिए देखने के लिए कुछ बाहरी कड़ियां से जुड़ने के लिए फिर आप बुद्धि और ध्यान से चेतना के तरफ ले जाते हैं बीच में ठहरने की कोशिस करते हैं, जब हम चक्र को जानना शुरू करते हैं फिर हम आंतरिक और आत्मिक के तरफ आते हैं उतरते हैं। सबसे पहले हमें ध्यान करना होगा, जागरूक होना होगा, पहले पदार्थ को समझना होगा फिर उसमें से ऊर्जा को फिर ऊर्जा चेतना में रूपांतरण होगा फिर आपका तीसरा नेत्र खुल जायेगा उस पर चोट लगेगा वो खुलेगा और फिर कुछ समय के लिए भय भी लग सकता है यदि हम बाकी चक्र को नहीं जानते हैं तो होगा, हो सकता है जैसे आप आकाश को अपने अंदर उतार लिए और फिर साफ साफ धरती जल वायु अग्नि आकाश स्पष्ट हो जाता है। अंतर्दृष्टि बन जाता है। सब कुछ साफ। याद रहे ये समान दृष्टि से परे हो जाता है। याद रहे तीसरा नेत्र को खोलने से पहले हमें सात चक्र को जानना होगा, शुरू से आरंभ करना होगा, नहीं तो कुछ परेशानी का सामना करना पर सकता है। हमें जागरूकता रखना होगा और निरंतर अभ्यास से सभी चक्र और मन के भाग अवचेतन अचेतन चेतन और तभी तुरिया अस्वथा यानी शून्यता में हम प्रवेश करेंगे।
ओशो कहते हैं तीसरी आंख एक ऐसी अवस्था है जहां हम अपने अंतरात्मा को जान सकते हैं और अपने जीवन के उद्देश्य को समझ सकते हैं, यह एक ऐसी अवस्था है जहां हम अपने मन, शरीर, और आत्मा को एक साथ जोड़ सकते हैं।
ध्यान की भूमिका
तीसरी आंख को जगाने में ध्यान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नियमित ध्यान अभ्यास के माध्यम से , व्यक्ति मन को शांत कर सकते हैं और अपने भीतर के आत्म पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। यह तीसरी आंख को सक्रिय करने और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाने में मदद कर सकता है। ध्यान तकनीकों में अक्सर विजुअलाइजेशन, जप और सांस व जागरूकता का अभ्यास शामिल होता है, आप निरंतर ध्यान करते रहे। इससे अच्छा और फायदेमंद कोई और रास्ता है हीं नहीं, इसीलिए ध्यान और जागरूकता को मित्र बनाना होगा। तभी हम शून्यता के तरफ बढ़ने में पूर्ण कामयाब और सफल होंगे।
तीसरी आंख जागने के आसान तारिक।
तीसरी आंख को जगाने का एक सामान्य तरीका यह है की एक अच्छी और साफ सुथरा जगह पर बैठे, या ध्यान कैसे शुरू करें या आप साहित्यपीडिया पर जाकर मेरा एक पोस्ट है की ध्यान घर में कैसे शुरू करे या ध्यान कैसे करें दोनों को पढ़ लें और तब थोड़ा आसान लगेगा, फिर भी एक आरामदायक स्थिति में बैठकर अपने भौहों के बीच के क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना है, शुरू में नीचे के तरफ जाएगा, हो सकता है की आप हृदय के चक्र या स्वाधिष्ठान चक्र विशुद्ध चक्र या अन्य चक्र में जी रहे हैं, इसीलिए कहता हूं स्वयं की पहचान करना सबसे उत्तम कार्य है। भौहों के बीच के स्थान पर एक चमकदार रोशनी या एक आंख को देखने में पूर्ण लगा देना स्वयं को वासना लाना होगा, जैसे हम हर चीज़ में लाते है पूर्ण रूप से प्रयत्न करते हैं जिसे हमें करना होता है या हृदय के पास रखना होता है, उसमें हम जान लगा देते हैं। हमें पूर्ण विश्वास और पूर्ण प्रयत्न करना होगा। ये तीसरी आंख को उत्तेजित करने में मदद कर सकता है। इस ध्यान को लाभों का अनुभव करने के लिए लगातार अभ्यास करना महत्वपूर्ण है।
जागृत तीसरी आंख के संकेत।
ऐसे कई संकेत हैं जो तीसरी नेत्र के जागने का संकेत देते हैं। ये संकेत हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकता है, लेकिन कुछ सामान्य अनुभव भी हो सकता है। जैसे की अंतज्ञान में बढ़ोतरी होता है आप बहुत कुछ जानने में सक्षम हो सकते है। विचारों में स्पष्टता में भी वृद्धि हो सकता है, जो कोई विचार आप सोचेंगे उसमें मिशन के साथ विजन भी दिखाई देगा दोनों स्पष्ट हो जाएगा, उसके बाद आप विजन पर ध्यान केंद्रित करेंगे ताकि हर मिशन सफल हो और उत्साह भी बढ़ेगा हिम्मत बढ़ेगा भय समाप्त होगा। क्योंकि फिर आप जीवन और मृत्यु के पार चले जाते हैं। अनुभूति में भी भावना बढ़ेगा भावना या विचार दिनों में निखार आएगा। आध्यात्मिक क्षेत्रों के साथ अधिक जुड़ाव होगा। व्यक्ति को ज्वलंत सपने और अपने जीवन के उद्देश्य की गहरी समझ का भी अनुभव हो सकता है। ये अनुभव रोमांचक और भारी दोनों हो सकते है, आप अपने उद्देश्य को समझेंगे और आपको सबसे बड़ा उद्देश्य प्रेम और आनंद दिखेगा ताकि आप स्वयं के साथ दूसरे को भी कल्याण कर सके। इस यात्रा को खुले दिमाग और जिज्ञासा की भावना के साथ जीवन जीना महत्वपूर्ण हो सकता है। आप खिलने लगेंगे तीसरी नेत्र के माध्यम से आप स्वयं में रूपांतरण और परिवर्तन ला सकते हैं। जो चीज में समझ या जान नहीं पा रहे हैं फिर आपके लिए आसान हो जायेगा। आप सब कुछ जानना चाहेंगे, आप परमात्मा को भी जानने में सक्षम हो सकते है ताकि मुक्ति की ओर बढ़े जीवन मृत्यु को जान कर मुक्ति यानी शून्यता के तरफ बढ़े। और एक ध्रुव तारा के तरह हम लोग भी मुक्त हो जाए। एक बात याद रखें जागरूकता हमें हर चीज में देनी चाहिए चाहे वो शिक्षा हो धर्म हो या जीवन हो सभी में जागरूकता रखना महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
चुनौतियां और सावधानियां।
तिसरी आंख यानी आज्ञा चक्र को जगाने से व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। हालांकि ये बदलाव अक्सर सकारात्मक परिणाम होते हैं, लेकिन ये चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है समस्या का सामना भी करना होगा, क्योंकि सबको मिल जाता फिर घर में ही सब जाग जाते फिर ये साधु हिमालय या अन्य जंगल में नहीं जाते सत्य को जानने के लिए घर नहीं छोड़ते सब परमात्मा को खोज लेते, एक कहानी है एक बार जब प्रभु ने दुनिया बनाया फिर जब इंसान को बनाया तो घबरा गए, सोचे ये मैं क्या कर दिया ये क्या बन गया, सब कुछ बंद कर दिए इंसान को बनाने के बाद, वो सोचे की ये इंसान तो मुझे आसानी से खोज लेगा, मैं कहां छुपु, है जगह इंसान ढूंढ लेगा, फिर भगवान को याद आया की इंसान के अंदर छुप जाता हूं ताकि ढूंढ ना सके, वही हो रहा है सोचिएगा आप। तीसरी आंख को जगाने के क्रम ने में कुछ व्यक्ति को सिरदर्द, भ्रम या भावनात्मक उथल-पुथल का अनुभव हो सकता है। ग्राउंडिंग तकनीकों का अभ्यास करना और आवश्कता पड़ने पर अनुभवी चिकित्सकों से मार्गदर्शन लेना महत्वपूर्ण है। या तो साथ चक्र के धीरे धीरे जाने, या बस तीसरी आंख के खोलने के चक्कर में पागल नहीं होना है, क्योंकि बहुत लोग कुंडलियां को जगा नहीं पाते फिर पागल या बुद्धि हृदय का साथ छोड़ देता है, फिर हम पागल हो जाते हैं, हमें सभी चक्र पर जागरूकता रखना होगा। एक बात याद रखें ध्यान के साथ संगीत, डांस, योग, वॉक कर सकते हैं ताकि खिलते रहे और एक चीज ने में ही न फंस जाए।
सभी चीज़ में सहमति रखिए और ध्यान करते रहे। या आप अन्य आध्यात्मिक गुरु के वीडियो, पुस्तक के माध्यम से भी जाने सबका अपना अनुभव हो सकता है सभी से सीखे जाने, लेकिन याद रहे सत्य एक ही है बस एक कहने का तरीका कुछ अलग हो सकता है।
संतुलित जीवनशैली बनाए रखना और भौतिक दुनिया से जुड़े रहना इन चुनौती से निपटने में मदद कर सकता है। तीसरी आंख और उसके निहित के बारे में स्वयं को शिक्षित करना सबसे फायदेमंद है। इस प्रकिया को समझना अनिश्चितता के समय में आश्वासन और सहायता प्रदान कर सकता है जिसके मदद से आप विखरेंगे नहीं सुलझने में मदद कर सकता है।
जागृत तीसरी आंख के लाभ।
जागृत तीसरी आंख के लाभ कई हैं। व्यक्ति अक्सर शांति और संतुष्टि की गहरी भावना की मांग करते हैं। बढ़ी हुई अंतज्ञान बेहतर निर्णय लेने और जीवन में दिशा की स्पष्ट समझ की ओर ले जा सकता है। आध्यात्मिक अभ्यास अधिक गहन हो जाते हैं, और दूसरों के साथ संबंध अधिक सार्थक हो सकते हैं।
इसके अलावा, एक जागृत तीसरी आंख व्यक्ति की रचनात्मकता और समस्या-समाधान क्षमताओं को बढ़ा सकता है। यह नए दृष्टिकोण और सोचने के तरीके खोलती है। यह जीवन के व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों पहलुओं में विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है।
याद रखें तीसरी आंख को जगाने की यात्रा एक गहरी व्यक्तिगत और परिवर्तनकारी प्रक्रिया है। इसके लिए धैर्य, समर्पण और खुले हृदय की आवश्कता होती है। हमें ध्यान के साथ-साथ जागरूकता भी लाना है ताकि हम हर चीज़ को स्पष्ट रूप से देख सके। उसके बाद हमारे मन, शरीर और आत्मा का संतुलन कर सकते हैं। आत्म विचार करते रहे अपने आपको एकाग्र रखें, गहरी सांस लेते रहे, सांस के प्रति जागरूक ही हमें रूपांतरण के ओर ले जा सकता है।
ऐसे ही पढ़ते रहे और हमने पोस्ट किया है उसे भी पढ़े यदि कोई सुझाव देना चाहे तो अवश्य दें हमें खुशी होगी, आप प्रेम और आनंद के तरफ बढ़े हमें बहुत खुशी होगा की आप भी जाग रहे हैं। स्वयं को खोने से पहले कुछ सार्थक कर रहे हैं। पदार्थ ऊर्जा और चेतना तीनों का सफर आवश्य करें और जागते रहे।
धन्यवाद।
रविकेश झा।🙏🏻❤️