तसव्वुर
मसर्रत की ऐसी हवा चली है ,
माहौल की सरगर्मियां लुत्फ़-अंदोज़ हो रहीं हैं ,
लगता है अभी-अभी
किसी ने मुझे प्यार से छूआ है ,
ज़ेहन में अजब सी
मदहोशी का एहसास हो रहा है ,
हर सम्त फ़जा भी
खुश़गवार हो रही है ,
रोशन शुआओं की
एक नई सुबह हो रही है ,
यादों का कारवां रफ़्ता-रफ़्ता पीछे
छूटता जा रहा है ,
वक्त के इस्तिक़बाल में लम्हों का
जुलूस जा रहा है ,
आरज़ू के उफ़क से उम्मीद-ए- ज़िदगी का
आग़ाज़ हो रहा है,
इक बुलंद मुस्तक़बिल रहने का
तसव्वुर हो रहा है ।