*टैगोर शिशु निकेतन *
टैगोर शिशु निकेतन
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टैगोर शिशु निकेतन की स्थापना जुलाई 1958 में पूज्प पिताजी श्री राम प्रकाश सर्राफ ने की थी। यह पीपल टोला (निकट मिस्टन गंज) रामपुर में स्थित है।
इन पंक्तियों के लेखक ने कक्षा 1 से 5 तक टैगोर शिशु निकेतन में शिक्षा ग्रहण की थी। उससे पहले शिशु क और शिशु ख का दो वर्षीय कोर्स भी किया था ।
बच्चों के खेलने का विशाल मैदान भवन के बीचो-बीच है। साठ और सत्तर के दशक हिंदी माध्यम विद्यालयों के स्वर्ण युग थे। टैगोर शिशु निकेतन एक हिंदी माध्यम विद्यालय था। इस ने प्रारंभिक दशकों में ही गुणवत्ता की दृष्टि से शहर में शीघ्र ही प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया। चाहे व्यापारी समाज हो या अधिकारी, सब की पहली पसंद टैगोर शिशु निकेतन था।
विद्यालय की प्रार्थना में यह पंक्तियां सब बच्चे गाते थे:-
वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्तव्य मार्ग पर डट जाएं
इसके अतिरिक्त कुछ भाषण, कविताएं भी बच्चों द्वारा प्रस्तुत की जाती थीं । दिनेश जी की गीता के कुछ अंश पढ़ कर सुनाए जाते थे।
साप्ताहिक शिशु भारती होती थी, जिसमें बच्चों की नैसर्गिक प्रतिभा को उभारने के लिए ज्ञान विज्ञान के कार्यक्रम रखे जाते थे। बच्चे अपनी मनपसंद कविताएं सुनाते थे। कहानियां और गीत गाते थे। टैगोर स्कूल में पढ़ते समय ही मुझे श्याम नारायण पांडेय की कविता “रण बीच चौकड़ी भर-भर कर चेतक बन गया निराला था/ राणा प्रताप के घोड़े से पड़ गया हवा का पाला था” पूरी तरह कंठस्थ थी। इसे मैंने शिशु भारती ने भी एक बार याद करके सुनाई थी।
गीता मर्मज्ञ पंडित दीनानाथ भार्गव दिनेश के गीता प्रवचन टैगोर शिशु निकेतन में बहुत लोकप्रिय हुए। प्रारंभ में दिनेश जी को सुंदरलाल इंटर कॉलेज में आमंत्रित किया गया जाता था। लेकिन जब टैगोर शिशु निकेतन खुल गया तो दिनेश जी के प्रवचन प्रतिवर्ष दिसंबर माह में वहॉं होना आरंभ हो गए।
जन्माष्टमी की झॉंकी की भी काफी धूम टैगोर शिशु निकेतन में रही। इसकी विशेषता यह थी कि श्री कृष्ण के जीवन से संबंधित प्रसंगों को दर्शाने के लिए पात्रों की भूमिका विद्यालय के छात्र निभाते थे। हमने भी इसमें भाग लिया था। यह साठ-सत्तर के दशक की बातें थी।
आजकल अंग्रेजी माध्यम की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2018 से यह विद्यालय ‘टैगोर स्मार्ट प्ले एंड प्री स्कूल’ के नाम से मेरे पुत्र डॉक्टर रजत प्रकाश तथा पुत्रवधू डॉक्टर हर्षिता पूठिया के कुशल नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है। यह पहले भी ‘टैगोर स्कूल’ के नाम से ही लोकप्रिय था और अब भी है।
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451