टूटना कभी भी मत
रूठना अभी भी मत और टूटना कभी भी मत।
पास तेरे मैं रहूँ या दूर तुझसे मैं रहूँ।।
साथ तेरे मैं खड़ा हूँ, भूला कभी भी मत।
दौर परीक्षाओं का और आस का हैं चल रहा।।
मुँह मोड़ना कभी भी मत विश्वास तोड़ना अभी भी मत।
कष्टो से घबराकर पग मोड़ना कभी भी मत।।
विश्वास तेरा मैं खड़ा हूँ बिल्कुल भी शर्माना मत।
अतीत एक स्वप्न था अब टूट तू जाना मत।।
मुँह उठाए सब खड़े हैं तोड़ने को देख लो।
यश तेरा लाऊगा मैं विश्वास करके देख लो।।
दुस्वप्न को भूल जा नवजीवन को सवार ले।
आस मैं विश्वास मैं बात ये तू जान ले।।
साथ तेरे मैं खड़ा हूँ विश्वास करके देख ले।
रूठना अभी भी मत और टूटना कभी भी मत।।
ललकार भारद्वाज