Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Dec 2023 · 1 min read

तेवरी केवल कैमरे की कला नहीं + निरंजन कुमार ‘निराकार’

—————————————–
साहित्य ने सदैव सामाजिक स्थितियों के अनुसार समय की मुँहजोर हरकतों को आकने के साथ-साथ सामाजिक बदलाव की पृष्ठभूमि भी तैयार की है। काव्य-कला की दृष्टि से नयी कविता, अकविता और अब तेवरी विधा की आन्दोलनात्मक हलचल जनमानस में चेतना लाने के लिये सुखद परिणाम प्रस्तुत कर सकती है, बशर्ते इसे यथार्थमय दृष्टिकोण के साथ जन-पीड़ा से जोड़ने का प्रयास किया जाये।
यदि तेवरी में जनता की समस्याओं, परेशानियों को अभिव्यक्ति देने के लिये भाव-भाषा का खुलकर प्रयोग किया जाये तो तेवरी केवल कैमरे की कला होने के बजाय देश-समाज तथा व्यक्ति को उनके मौलिक अधिकारों के लिये किये गये संघर्ष को और तेजतर कर सकेगी। इसके लिये तेवरी रचनाकारों को नुक्कड़, चैराहों पर साहस के साथ कवि सम्मेलन आयोजित करने पड़ेंगे।
ग़ज़ल के निकट की प्रभावी स्वतन्त्र विधा तेवरी का भाषायी पैनापन, तेजतर्रार रवैया, विकृतियों, विसंगतियों पर हथियार की तरह इस्तेमाल, बिगड़ती स्थितियों से निपटने का दबदबा तभी कारगर हो सकता है जबकि इसके रचनाधर्मी अपनी मान्यताओं की रक्षा हेतु हर तरह के खतरों ;खासतौर से जो परम्परागत साहित्य से उत्पन्न हुए हैं, को झेलने के लिये अपने भीतर सामर्थ्य और साहस रख सकें।
तेवरी का किसी वाद या खेमे से न जुड़ना इसके उज्जवल भविष्य का संकेत है तथा जीवन से हर तरह मात खाये हुए व्यक्ति के हित में एक भरोसेमन्द आवाज है। इसकी आवाज में नयी पीढ़ी का बल तथा भविष्य की चमक एकाकर होकर सर्वत्र नया रंग- नयी खुशबू बिखेर सकती है।

134 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Perceive Exams as a festival
Perceive Exams as a festival
Tushar Jagawat
अमृता प्रीतम
अमृता प्रीतम
Dr fauzia Naseem shad
☀️ओज़☀️
☀️ओज़☀️
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
🙅अचरज काहे का...?
🙅अचरज काहे का...?
*Author प्रणय प्रभात*
समय
समय
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
राम लला
राम लला
Satyaveer vaishnav
तेरी मधुर यादें
तेरी मधुर यादें
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
कुछ इस तरह टुटे है लोगो के नजरअंदाजगी से
कुछ इस तरह टुटे है लोगो के नजरअंदाजगी से
पूर्वार्थ
"राखी"
Dr. Kishan tandon kranti
बचपन
बचपन
Kanchan Khanna
*होली के रंग ,हाथी दादा के संग*
*होली के रंग ,हाथी दादा के संग*
Ravi Prakash
ओ मेरी जान
ओ मेरी जान
gurudeenverma198
*किसान*
*किसान*
Dr. Priya Gupta
जब अथक प्रयास करने के बाद आप अपनी खराब आदतों पर विजय प्राप्त
जब अथक प्रयास करने के बाद आप अपनी खराब आदतों पर विजय प्राप्त
Paras Nath Jha
एक मुलाकात अजनबी से
एक मुलाकात अजनबी से
Mahender Singh
3392⚘ *पूर्णिका* ⚘
3392⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
तुम तो ठहरे परदेशी
तुम तो ठहरे परदेशी
विशाल शुक्ल
राह नीर की छोड़
राह नीर की छोड़
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दिल के रिश्ते
दिल के रिश्ते
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
नारी वेदना के स्वर
नारी वेदना के स्वर
Shyam Sundar Subramanian
वक़्त सितम इस तरह, ढा रहा है आजकल,
वक़्त सितम इस तरह, ढा रहा है आजकल,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
*भगवान के नाम पर*
*भगवान के नाम पर*
Dushyant Kumar
चमचम चमके चाँदनी, खिली सँवर कर रात।
चमचम चमके चाँदनी, खिली सँवर कर रात।
डॉ.सीमा अग्रवाल
यादों के गुलाब
यादों के गुलाब
Neeraj Agarwal
जवानी
जवानी
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
फ़र्क़ यह नहीं पड़ता
फ़र्क़ यह नहीं पड़ता
Anand Kumar
*......सबको लड़ना पड़ता है.......*
*......सबको लड़ना पड़ता है.......*
Naushaba Suriya
" मानस मायूस "
Dr Meenu Poonia
Loading...