ज्ञानमय
नहीं मोह-ग्रस्त बन।
चेत-सूर्य मस्त बन।
आत्मा को जानकर।
ज्ञान -प्रेम भक्त बन।
बोध की सु गोन है।
सहज और मौन है।
‘नायक’ वह ज्ञानमय।
कहीं से न पौन है।
पं बृजेश कुमार नायक
नहीं मोह-ग्रस्त बन।
चेत-सूर्य मस्त बन।
आत्मा को जानकर।
ज्ञान -प्रेम भक्त बन।
बोध की सु गोन है।
सहज और मौन है।
‘नायक’ वह ज्ञानमय।
कहीं से न पौन है।
पं बृजेश कुमार नायक