Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

सादापन

कर दू न्यौछावर खुद को
तेरी एक मुस्कान की खातिर।
क्या कहूॅ और मैं जानेजां
मैं तुझपर फिदा हूॅ।
तुम्हारे प्रेम में,
पुर्णतया समाहित होकर
कर रहा इन्तजार
कि तुम एक दिन आओगीं
और कहोगी
बीतीं घड़ी प्रतीक्षा की।
’अऩस’ तुम्हारे इसी सादगी पर
मैं फ़िदा हूॅ।

Language: Hindi
102 Views
Books from NAVNEET SINGH
View all

You may also like these posts

काम क्रोध मद लोभ के,
काम क्रोध मद लोभ के,
sushil sarna
"कष्ट"
नेताम आर सी
🙏 माता रानी की वंदना 🙏
🙏 माता रानी की वंदना 🙏
umesh mehra
नारी तू नारायणी
नारी तू नारायणी
Dr.Pratibha Prakash
जब मति ही विपरीत हो
जब मति ही विपरीत हो
RAMESH SHARMA
कवित्व प्रतिभा के आप क्यों ना धनी हों ,पर आप में यदि व्यावहा
कवित्व प्रतिभा के आप क्यों ना धनी हों ,पर आप में यदि व्यावहा
DrLakshman Jha Parimal
नई सीख को सिखाकर जाने लगा दिसंबर
नई सीख को सिखाकर जाने लगा दिसंबर
कृष्णकांत गुर्जर
* गर्व ना करे **
* गर्व ना करे **
Dr. P.C. Bisen
बहुत खूबसूरत है मोहब्बत ,
बहुत खूबसूरत है मोहब्बत ,
Ranjeet kumar patre
!!! होली आई है !!!
!!! होली आई है !!!
जगदीश लववंशी
https://vin777.contact/
https://vin777.contact/
VIN 777
तुम्हारी कलम
तुम्हारी कलम
पूर्वार्थ
मै हारा नही हूं
मै हारा नही हूं
अनिल "आदर्श"
*सैनिक (सिंह विलोकित घनाक्षरी छंद)*
*सैनिक (सिंह विलोकित घनाक्षरी छंद)*
Ravi Prakash
सच तो कुछ नहीं है
सच तो कुछ नहीं है
Neeraj Agarwal
हार फिर होती नहीं…
हार फिर होती नहीं…
मनोज कर्ण
ज़िंदगी से जितना हम डरते हैं,
ज़िंदगी से जितना हम डरते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
मुफ़लिसों को बांटिए खुशियां खुशी से।
मुफ़लिसों को बांटिए खुशियां खुशी से।
सत्य कुमार प्रेमी
मेरी यादों में
मेरी यादों में
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
विचार में जीने से बेहतर हृदय में जीना चाहिए। - रविकेश झा
विचार में जीने से बेहतर हृदय में जीना चाहिए। - रविकेश झा
Ravikesh Jha
युगों-युगों तक
युगों-युगों तक
Harminder Kaur
प्रेम अटूट है
प्रेम अटूट है
Dr. Kishan tandon kranti
तूं राम को जान।
तूं राम को जान।
Acharya Rama Nand Mandal
4552.*पूर्णिका*
4552.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इश्क़ हो जाऊं
इश्क़ हो जाऊं
Shikha Mishra
दुनिया में दो तरह के लोग पाए जाते हैं। एक सूखा खाकर
दुनिया में दो तरह के लोग पाए जाते हैं। एक सूखा खाकर "सुखी" र
*प्रणय*
वेदना
वेदना
"एकांत "उमेश*
तुम हो तो....
तुम हो तो....
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
दीपोत्सव
दीपोत्सव
Bodhisatva kastooriya
अकेला
अकेला
Vansh Agarwal
Loading...