কবিতা : আমাদের বিবেকানন্দ, রচয়িতা : সোহম দে প্রয়াস।
जहां कभी प्राण-वायु मिला करती थी, वहां दम घुटने का आभास भी ह
इस जन्म में नामुमकिन है,हम दोनों का मेल प्रिये ! (हास्य कविता)
लम्बे सफ़र पर चलते-चलते ना जाने...
नफरतों से अब रिफाक़त पे असर पड़ता है। दिल में शक हो तो मुहब्बत पे असर पड़ता है। ❤️ खुशू खुज़ू से अमल कोई भी करो साहिब। नेकियों से तो इ़बादत पे असर पड़ता है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मुकम्मल क्यूँ बने रहते हो,थोड़ी सी कमी रखो
*सौम्य व्यक्तित्व के धनी दही विक्रेता श्री राम बाबू जी*
क्यो लेट जाते हो बिछौने में दुखी मन से,