धरती पर जन्म लेने वाला हर एक इंसान मजदूर है
मैं ज़्यादा बोलती हूँ तुम भड़क जाते हो !
'प्यासा'कुंडलिया(Vijay Kumar Pandey' pyasa'
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एक चंचल,बिंदास सी छवि थी वो
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
बहुत जरूरी है तो मुझे खुद को ढूंढना
कुछ हम लड़के भी है जो सिर्फ या तो मां के प्रेम के अधीर इतने
हाइपरटेंशन(ज़िंदगी चवन्नी)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
गीत- कभी ख़ुशियाँ कभी ग़म हैं...
सुबह की नींद सबको प्यारी होती है।
एक बेवफा का प्यार है आज भी दिल में मेरे
तुम जहा भी हो,तुरंत चले आओ
विघ्न-विनाशक नाथ सुनो, भय से भयभीत हुआ जग सारा।