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16 Mar 2025 · 1 min read

स्नेह बढ़ाएं

गीतिका
~~~~
छोड़ें सोच विचार, सभी से स्नेह बढ़ाएं।
तजकर टाल मटोल, सामने नज़र मिलाएं।

समाधान हो शीघ्र, सभी शंकाओं का जब।
खूब बढ़ेगा प्यार, सभी अवरोध हटाएं।

खिली खिली है धूप, भोर की महिमा न्यारी।
खिले हुए हैं फूल, खूब बगिया महकाएं।

कलियां देती सीख, खूब खिलने की हमको।
कह दें मन की बात, नहीं बिल्कुल शर्माएं।

फागुन महके खूब, नहीं अब बैठें गुमसुम।
चलो बिना संकोच, हृदय में प्रीति जगाएं।

धूप छांव का खेल, निरंतर चलता रहता।
हर हालत में खूब, चलो आनंद उठाएं।

झुक जाती है डाल, भरा करती फूलों से।
रहती सदा विनम्र, महकती सभी दिशाएं।
~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

1 Like · 1 Comment · 21 Views
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