जड़ें
अपने गॉंव छोड़कर
चले जाते जो
दिल्ली कोलकाता मुम्बई
बेंगलुरु हो या चेन्नई।
घर के दरवाजे पर
ताला-बन्दी कर,
या जोड़ दिए जाते
मिट्टी और पत्थर।
सोचता हूँ
कहाँ पर दबी होती है
उनकी जड़ें ?
उस मिट्टी की झोपड़ी में
या फिर
मजबूरी की मिट्टी में?
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
अमेरिकन एक्सीलेंट राइटर अवार्ड प्राप्त।