चार दिशाएँ
उगता सूरज जिधर सामने
पूरब दिशा कहलाती,
बायें हाथ की ओर देखो
उत्तर दिशा कहलाती।
मुड़ना नहीं है तुमको बच्चों
दायीं ओर तो देखो,
पीठ पीछे ना करो बुराई
दक्षिण से भी सीखो।
पश्चिम से अन्धेरा पसरता
ये कहना केवल भ्रम है,
पीछे पश्चिम में हुआ अधिक
अविष्कारों का जनम है।
ये चार दिशाएँ होती है यूँ
मत भूलना मुन्ना राजा,
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
अब स्कूल को जा-जा।
( मेरी 58वीं कृति : बित्ता-बित्ता पानी
बाल कविता-गीत संग्रह से,,, )
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।