Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2024 · 1 min read

!!! भिंड भ्रमण की झलकियां !!!

छुक छुक करती रेल से, फिर देखी बस राह।
एक चुनौती की डगर , फिर भी मन में चाह।।

यह भू भिंडी ऋषि की, भिंड कहे सब आज।
यहां खड़े कब से किले, लेकर कोई राज।।

चंबल घाटी की धरा, बीहड़ की भरमार।
पहुज सिंध चंबल नदी, बहती ले जल धार।।

फूलों से सरसो लदी, सोने जैसे खेत।
मन मोहक यह दृश्य है, देख नयन सुख लेत।।

देखो दुर्ग यहां खड़े, गोहद और अटेर।
बेहद खूबसूरत है, करिए इनकी सैर।।
—– जेपी लववंशी
———————————————————–

Language: Hindi
63 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from जगदीश लववंशी
View all
You may also like:
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सुखों से दूर ही रहते, दुखों के मीत हैं आँसू।
सुखों से दूर ही रहते, दुखों के मीत हैं आँसू।
डॉ.सीमा अग्रवाल
बावन यही हैं वर्ण हमारे
बावन यही हैं वर्ण हमारे
Jatashankar Prajapati
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
2) भीड़
2) भीड़
पूनम झा 'प्रथमा'
Yash Mehra
Yash Mehra
Yash mehra
दोस्ती
दोस्ती
Monika Verma
" सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
वक्त सा गुजर गया है।
वक्त सा गुजर गया है।
Taj Mohammad
राम है अमोघ शक्ति
राम है अमोघ शक्ति
Kaushal Kumar Pandey आस
सबके राम
सबके राम
Sandeep Pande
⚘️🌾Movement my botany⚘️🌾
⚘️🌾Movement my botany⚘️🌾
Ms.Ankit Halke jha
मन में संदिग्ध हो
मन में संदिग्ध हो
Rituraj shivem verma
नित तेरी पूजा करता मैं,
नित तेरी पूजा करता मैं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
माँ...की यादें...।
माँ...की यादें...।
Awadhesh Kumar Singh
5
5"गांव की बुढ़िया मां"
राकेश चौरसिया
*बड़े प्रश्न लें हाथ, सोच मत रखिए छोटी (कुंडलिया)*
*बड़े प्रश्न लें हाथ, सोच मत रखिए छोटी (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"शिलालेख "
Slok maurya "umang"
कहती है हमें अपनी कविताओं में तो उतार कर देख लो मेरा रूप यौव
कहती है हमें अपनी कविताओं में तो उतार कर देख लो मेरा रूप यौव
DrLakshman Jha Parimal
समाज को जगाने का काम करते रहो,
समाज को जगाने का काम करते रहो,
नेताम आर सी
निगाहें मिलाके सितम ढाने वाले ।
निगाहें मिलाके सितम ढाने वाले ।
Phool gufran
माँ
माँ
Harminder Kaur
ख़ास तो बहुत थे हम भी उसके लिए...
ख़ास तो बहुत थे हम भी उसके लिए...
Dr Manju Saini
रमेशराज के बालमन पर आधारित बालगीत
रमेशराज के बालमन पर आधारित बालगीत
कवि रमेशराज
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
माँ तुम सचमुच माँ सी हो
माँ तुम सचमुच माँ सी हो
Manju Singh
तुम जब भी जमीन पर बैठो तो लोग उसे तुम्हारी औक़ात नहीं बल्कि
तुम जब भी जमीन पर बैठो तो लोग उसे तुम्हारी औक़ात नहीं बल्कि
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
महिला दिवस विशेष दोहे
महिला दिवस विशेष दोहे
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
दिलरुबा जे रहे
दिलरुबा जे रहे
Shekhar Chandra Mitra
कल रहूॅं-ना रहूॅं...
कल रहूॅं-ना रहूॅं...
पंकज कुमार कर्ण
Loading...