जब तुम आए जगत में, जगत हंसा तुम रोए।
रिश्ता - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
ढूँढ़ रहे शमशान यहाँ, मृतदेह पड़ा भरपूर मुरारी
नर को न कभी कार्य बिना
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*मनुज ले राम का शुभ नाम, भवसागर से तरते हैं (मुक्तक)*
भीगी फिर थीं भारी रतियाॅं!
सोने के पिंजरे से कहीं लाख़ बेहतर,
Jo mila nahi wo bhi theek hai.., jo hai mil gaya w
मन्दिर में है प्राण प्रतिष्ठा , न्यौता सबका आने को...
पात उगेंगे पुनः नये,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
रात्रि पहर की छुटपुट चोरी होते सुखद सबेरे थे।
"तुम्हें राहें मुहब्बत की अदाओं से लुभाती हैं
व्यक्ति के शब्द ही उसके सोच को परिलक्षित कर देते है शब्द आपक
।। समीक्षा ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
💐प्रेम कौतुक-512💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)