ख़ुद ही जल जाएंगे
खुद ही जल जाएंगे,गैरों को जलाने वाले।
खुद ही मिट जाएंगे, गैरों को मिटाने वाले।।
हमसे जलना तो लोगों की फितरत ही रही।
खुद ही गश खाएंगे,गैरों को सताने वाले।।
अपना मुकद्दर तो सदा से रोना ही रहा।
खुद ही रोएंगे गैरों को रुलाने वाले।।
खिज़ा पर भी तो बहार आती है कभी।
ख़ुद ही लुट जाएंगे गैरों को लुटाने वाले।।
-शालिनी मिश्रा तिवारी
( बहराइच, उ०प्र० )