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22 Apr 2024 · 1 min read

बदनाम

इस कदर हमको न चाहो हम बहुत बदनाम है
कोई भी हम जैसा न हो हम बहुत बदनाम हैं

मद भरे नयनों से प्रणय के निमंत्रण आ रहे हैं थरथराते होंठ कुछ कहने को कंपकंपा रहे हैं
हृदय की वीणा के तार मधुर स्वर गुंजा रहे हैं
माफ कर दो बाज आओ हम बहुत बदनाम हैं

नहीं है पाषाण मेरा हृदय इसमें भाव है
अनगिनत लेकिन जगत से पाए इसने घाव हैं
निठुरता की कड़ी धूप में नेह की बस छाँव है
अपना निर्णय तुम बताओ हम बहुत बदनाम है

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