pita
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/ef17676c151623745d5c58ddcd048c71_d986afc2abee8c094eefd9505f9282a1_600.jpg)
समय रहते पिता की बात जो मान जाते हैं
वही शख्स जीवन की हर मंजिल को पाते है
भटक जाते जो सोचकर मुझसा नहीं कोई
वो अक्सर राह में जाकर भी राहें भूल जाते हैं
समय रहते पिता की बात जो मान जाते हैं
वही शख्स जीवन की हर मंजिल को पाते है
भटक जाते जो सोचकर मुझसा नहीं कोई
वो अक्सर राह में जाकर भी राहें भूल जाते हैं