किशोर/किशोरियों में एच आई वी /एड्स के प्रति जागरूकता-एक अध्ययन
प्रस्तावना
कबीरदास ने कहा है –
कबीरा सोई पीर है,जो जाने पर पीर
जो परपीर न जानई,सो काफिर बेपीर।।
वर्तमान समय में गम्भीर एवं असाध्य बिमारियों की चर्चा की जावे तो एच आई वी/एड्स सबसे गम्भीर एवं असाध्य बीमारी है,जिसका अब तक कोई हल नहीं खोज जा सका है ।विश्व परिदृश्य पर देखें तो प्रतिदिन 600 युवा इसकी चपेट में आ रहें हैं।
भारत में एड्स का पहला रोगी 1986 में पाया गया था ।धीरे-धीरे सम्पूर्ण भारतवर्ष इसकी गिरफ़्त में आ चुका है 15से24 वर्ष की आयु के किशोर-किशोरियों में एच आई वी/एड्स का संक्रमण बहुत ज्यादा है । इस हेतु उन्हें पर्याप्त जानकारी दिया जाना अत्यावश्यक है।
आवश्यकता एवं महत्व :- किशोर-किशोरियों को एड्स के सम्बन्ध में जानकारी देना अत्यावश्यक है एवं एड्स से सम्बंधित जानकारी उनके लिए क्या महत्त्व रखती है ,यह समझाया जाना भी जरूरी है कि एड्स एक लाईलाज बीमारी है,जिसका बचाव ही उपचार है।युवा वर्ग में प्रायः यह देखा गया है कि अनुचित यौन सम्बन्ध,समुचित यौन शिक्षा की कमी,यौन सम्बन्धों व् यौन क्रियाओं के बारे में अधूरी जानकारी अपने मित्रों और अन्य स्रोतों से प्राप्त होती है,जिसे पर्याप्त नही कहा जा सकता।इस कारण से किशोर-किशोरियों को एच आई वी/एड्स की जानकारी देने की महत्ती आवश्यकता है ।
अध्ययन के सम्बन्ध में प्रयास: जंहा तक किशोर-किशोरियों में एच आई वी/एड्स के प्रति जागरूकता का प्रश्न है,विशेषतः शहरी क्षेत्रों में रहने वाले एवं जंहा संचार के साधन समुचितरूप से उपलब्ध हैं,वहां किशोर-किशोरियां इस सम्बन्ध में जागरूक हैं और पर्याप्त जानकारी भी रखतें हैं ।दूरदर्शन धारावाहिक,’जासूस विजय’ के माध्यम से एड्स के सम्बन्ध में समुचित जानकारी प्राप्त करते हैं ।कंडोम विज्ञापन डोंट बी शाई और डमफूल चुन्नीलाल के माध्यम से भी एड्स से बचाव की जानकारी मिलती है,लेकिन दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के किशोर-किशोरियों में जहां दूरदर्शन की सुविधा या एड्स से सम्बंधित पत्राचार एवं पर्याप्त नर्सिंग सेवायें उपलब्ध नहीं है। इस सम्बन्ध में पर्याप्त जानकारी का आभाव है,जो भावी पीढ़ी के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता है ।एच आई वी एक वायरस (विषाणु)है जो शरीर में पहुँच कर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है । एच आई वी पॉजिटिव संक्रमित व्यक्ति को ही कहते हैं ।
एच आई वी क्या है ?
यह एक विषाणु है।जिसके कारण एड्स फैलता है । एच आई वी संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति को एच आई वी पॉजिटिव कहते हैं ।
एड्स क्या है ?
एड्स का पूरा नाम है -एक्वायर्ड एमिनो डिफिसियंसी सिंड्रोम है ।
A से अक्वायर्ड -अर्जित :आनुवंशिक रूप से नही,बल्कि किसी व्यक्ति से प्राप्त।
Id से इम्यूनोडिफिशिएंसी-शरीर की रोग प्रति रक्षा में कमी ।
S से सिंड्रोम -रोगों का समूह या एक से अधिक रोग
एच आई वी संक्रमण की अंतिम अवस्था को एड्स कहते हैं ।
एच आई वी का फैलना :-मनुष्य रक्त से,वीर्य या योनि स्राव में पाया जाता है।भीड़ में,हाथ मिलाने से,खांसने से,छींकने से,सर्कजनिक गुसलखाने में स्नान करने से नहीं फैलता है ।
एड्स के लक्षण:(1) शरीर के वजन में चार सप्ताह में 10 प्रतिशत से अधिक की कमी
(2) दस्त, बुख़ार, खांसी का एक माह से अधिक होना
(3) गले या बगल या जांघो में गांठे पड़ना,त्वचा पर दाने व् खुजली, मुँह में छाले होना, रात्रि को अधिक पसीना आना ।
एड्स का परीक्षण :-एड्स का परीक्षण एलिशा टेस्ट के माध्यम से होता है । पॉजिटिव होने पर वैस्टर्न ब्लॉक परीक्षण (वैस्टर्न ब्लॉट टेस्ट ) होता है ।इससे भी पॉजिटिव सिद्ध होता है तो व्यक्ति पॉजिटिव माना जाता है ।यह रोग संक्रमण से फैलता है ।एड्स परीक्षण सरकारी चिकित्साल्ट के वी. सी. टी. सी.(वोल्टरिंग काउंसलिंग टेस्टिंग सेंटर ) में किया जाता है । एच आई वी पीड़ितों के लिए एंटी रेक्ट्रोवायरल थैरेपी
(ART) दी जाती है ।जो एड्स की तीव्रता को कम करती है । एक आई वी पीड़ित गर्भवती स्त्रियों को ये दवाएं दी जाती है ताकि उसका गर्भस्थ शिशु इस वायरस से सुरक्षित रह सके ।
निष्कर्ष :-वर्तमान में किशोर-किशोरीयीं को यह जानकारी दी जानी आवश्यक है कि एड्स का बचाव ही उपचार है ।इस हेतु :-१-एक से अधिक व्यक्तियों से यौन सम्बन्ध न रखें
२-अनजान या पेशेवर व्यक्ति (वैश्य आदि) से यौन सम्बन्ध न रखें ।
३-जीवन साथी के प्रति वफादार रहें
४-निरोध (कण्डोम)का इस्तेमाल करें
५-सदैव कीटाणु रहित सुई,सिरिंज या अन्य चिकित्सा औजारों का इस्तेमाल करें
६-एच आई वी रहित व्यक्ति का रक्त लें
७-गर्भावस्था में एच आई वी की जाँच करावें
अंत में समग्र रूप से कहा जा सकता है कि वर्तमान युवा पीढ़ी को एड्स के सम्बन्ध में जानकारी देकर जागरूक करना अति आवश्यक है ताकि भावी पीढ़ी का भविष्य अंधकारमय न हो। कविराज शिवमंगक सिंह’ सुमन’ के शब्दों में कहा जा सकता है कि
:- आओ वीरोचित कर्म करो
मानव हो तो कुछ शर्म करो
यों कब तक सहते जाओगे,
इस परवशता के जीवन से
विद्रोह करो, विद्रोह करो ।।
?मधुप बैरागी