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16 Sep 2023 · 1 min read

“कवि तो वही”

“कवि तो वही”
द्रवित होने पर
सरिता सा बहे
अगर रूष्ट हों तो
ताप सारे दहे
कलुष में डूबकर भी
कलम कीर्ति-लाभ लहे
कवि तो वही
जो अकथनीय कहे।

17 Likes · 8 Comments · 297 Views
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