कलम के सिपाही
कलम के सिपाही नमन तुमको मेरा।
निशा-मध्य फैलाओ अनुपम सवेरा।
सुलेखन करो पर कभी भी रुको ना।
जाग्रति-सघनता से छूटे न कोना।
प्रेमी प्रबलता का लगने दो फेरा।
कलम के सिपाही नमन तुमको मेरा।
अभी रूढ़िवादी चिंतन का साया।
अनपढ-जनों की वहाँ पर है माया।
डरैला कुपोषण अकिंचनता-डेरा।
कलम के सिपाही नमन तुमको मेरा।
जवाँ हिंसा है व वहाँ पर लुटेरा।
इज्जत को लूटे सुनो चीख-टेरा।
अब तक धरा पर है अवनति का घेरा।
कलम के सिपाही नमन तुमको मेरा।
कलम के सिपाही नमन तुमको मेरा।
निशा-मध्य फैलाओ अनुपम सवेरा।
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पं बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
-डरैला=भयानक
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●उक्त रचना जे एम डी पब्लिकेशन नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2016 में प्रकाशित कृति/संकलन “काव्य अमृत”
ISBN:978-93-82340-40-9 में प्रकाशित हो चुकी है ।
●उक्त रचना का काव्यपाठ आकाशवाणी छतरपुर से दिनांक 17-07-2017को प्रसारित हो चुका है।
● उक्त रचना को “पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” काव्य संग्रह के द्वितीय संस्करण के अनुसार परिष्कृत किया गया है।
● “पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” काव्य संग्रह का द्वितीय संस्करण अमेजोन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।