करके देखिए
रे मनवा मन तेल नहीं तेल की धार देखिएं
किसी की ग़लती नही खुद के विचार देखिएं
दुख से दुखी नहीं लोग फंसे मझधार देखिएं
किसी से ईर्ष्या नहीं अपना घर-परिवार देखिएं
कुकर्म करने से पहले सजा नरक द्वार देखिएं
मुंह फेरे नहीं परदर्द देख मददगार बन देखिए
समय वो बेकार नहीं उससे मिली खुशी देखिए
बुरी वस्तु नहीं अच्छी चीजें भी सौ बार देखिएं
फ़ूहड़ गान नाच नही सच गीत मल्हार देखिएं।
केवल अपने खातिर नहीं सब उपकार देखिएं।
– सीमा गुप्ता, अलवर राजस्थान