कमाण्डो
पता नहीं
राष्ट्र के मुखिया के कमाण्डो
इंसान हैं कि पत्थर के बुत
तनिक हिलते न डुलते,
जब प्रधानमंत्री
अपना भाषण दे रहे होते,
मगर वो
अपनी बाज जैसी निगाहों से
इधर-उधर देख रहे होते।
मुखिया की जिस बात पर लोग
लोट-पोट हो जाते हैं,
वो गुदगुदाते शब्द भी
उनके चेहरे पर हँसी तो दूर
मुस्कान की एक हल्की लकीर तक
खींच नहीं पाते हैं।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
सुदीर्घ साहित्य सेवा के लिए
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त।