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11 Feb 2024 · 1 min read

आरंभ

आरंभ
आरंभ यदि मन से करे तो ,
सभी कारज पूर्ण हो जाएंगे।
संकल्प यदि दृढ़ साथ लगा ले ,
असफलता कभी न आयेंगे।

विश्वास हो,मन में आस का सदिखन ,
समयबद्धता भी जरूरी है।
अहं को यदि हम दिल से निकालें ,
साधन खुद ही जुट जायेंगे।

लक्ष्य कोई हो ,कितना बड़ा भी ,
बाधाएं रह- रह कर उठे।
बुजुर्गों की दुआ,यदि मांग चले हम ,
मुश्किल फिर कभी न आयेंगे।

संघर्ष पथ रहे,अविचल हमेशा ,
परिश्रम से कभी घबरायें नहीं ।
अर्जुन सा यदि लक्ष्य टिका ले ,
दुर्योधन खुद ही मिट जायेंगे।

ईर्ष्या लालच विचलित करता ,
हालात प्रतिकूल कर देता ये।
आरम्भ सदा,शुभारंभ ही होगा ,
सत्कर्म का सीख यदि ले पायेंगे।

मौलिक एवं स्वरचित
मनोज कुमार कर्ण

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