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21 Jan 2019 · 1 min read

उढाना चाहता हूँ,सपनों का शाल तुम्हे –आर के रस्तोगी

उढाना चाहता हूँ,सपनों का शाल तुम्हे
सौपना चाहता हूँ,यादो की बारात तुम्हे

प्यार की खड्डी में है बुनवाया तुम्हारे लिये
हसरतो के ताने बाने है इसमें तुम्हारे लिये

रंग जो भी इस शाल का पसन्द आयेगा
हर हाल में मस्त रहेगा मन को भायेगा

ह्रदय का आकर भी बना है इस शाल में
धडकनों की आवाज सुनोगी इस शाल में

शाल तुम्हारे साइज़ का है दिल बड़ा है
तुम्हारी यादो में हमेशा राहो में खड़ा है

जब कभी इसे सर्दी में ओढ़ कर आओगी
मेरी पुरानी यादो को कभी न भुला पाओगी

सूर्य जैसी ऊष्मा है चाहतो की गर्माहट होगी
ओढोगी तो मन में मिलने की अकुलाहट होगी

आर के रस्तोगी

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 231 Views
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