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23 Sep 2021 · 1 min read

इ दुनिया मे पाप सजा पेलौं (कविता)

दुलरूआ आब हमर दूर नै जाउ
नोर पोछैत के क्षण मे मरि जाउ
असरा रहै जे हेरा देलौ एहि साल
अपने ऐना छोड़ि कऽ नहि जाउ

एहि जिनगी मे चारि दिन रहल
वेदनसँ नित माथ दुखैत रहल
ईश्वरक लाठी खसैय राक्षस पर,
ओ वैह आब हमरा खैस रहल

कोनो नीक पोथी पढि नै सकलौं
तेँ रामायण अर्थ जानि नै सकलौं
पथ फरिछ जानै सब केओ एते,
हम मायाजालसँ निकलि नै सकलौं

बीतल दिन ओ मीठ गप्प करी पेलौं
भोगविलास परि मनुख धर्म नै निभेलौ
पूजैत रहि किया महाकवि क बुझलौं
वाह रे देव इ दुनिया मे पाप सजा पेलौं

मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य

Language: Maithili
9 Likes · 5 Comments · 271 Views
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