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15 Feb 2024 · 1 min read

जिंदगी की उड़ान

जिदगी की उड़ान में पंख छोटे पड़ गए,
बीच राह में छोड़ प्राण जो तन से उड़ गए।

कभी नहीं टालना कोई काम कल के लिए,
काल रुकता नहीं तेरे किए जतन के लिए।

आलस में जानें कितनो के सपने उजड़ गए,
बीच राह में छोड़ प्राण जो तन से उड़ गए।

समय रहते चलते रहो मंजिल की आस में,
मत रुको डर से सरल राह की तलाश में।

मिल सकी मंजिल न तो हिम्मत को न हारना
कदम न लड़खड़ाएं जो मुश्किलों से हो सामना।

जीत मिली है उन्हें जिद पर जो भी अड़ गए,
उड़ान ऊंची रही उनकी आसमां भी चढ़ गए।

ज़िंदगी की उड़ान में पंख छोटे पड़ गए ,
बीच राह में जो यहां मुश्किलों से डर गए।

स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर
उत्तर प्रदेश

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