Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Apr 2024 · 2 min read

उम्मीद

प्राय: जीवन में मिलने वाले दुःख असफलताएं हमें निराशा और नाउम्मीदयों से भर देती है वहीं हमारे जीवन की गतिशीलता को भी पूर्णता अवरुद्ध कर देती हैं जो कि किसी भी रूप में उचित नहीं, इसलिए बहुत आवश्यक है कि विपरीत परिस्थितियों में संयम से काम लें और अपनी समारात्मक सोच से हम अपने दुःख पर अपनी असफलाताओं पर नियन्त्रण करके, अपनी सफलता के मार्ग को प्रशस्त करें।
अपने अंदर उत्साह का संचार करे परिस्थितियां कैसी भी हो मुस्कुराना सीखें, ज़िन्दगी को जीना सीखें ज़िन्दगी के प्रति अपनी सोच सदैव सकारात्मक रखें ,ज़िन्दगी के प्रति आपका लगाव, उत्साह आपके प्रत्येक कार्य में दिखाई देना चाहिए, अपने जीवन में घटने वाली हर दुःखद घटना को अपनी असफलताओं और अपनी कमज़ोरियों को किसी भी परिस्थिति में अपने ऊपर हावी न होने दे अपने आत्मविश्वास को हर विपरीत परिस्थितियों में बनाये रखें, यकीन मानिए आपका स्वयं पर पूर्ण विश्वास होना ही आपको बिना किसी सहायता के हर विपरीत परिस्थिति से निकालने की क्षमता रखता है, अपनी ज़िंदगी में सहजता, स्वाभाविकता को स्थान दें, इससे आपकी जिन्दगी भी आसान होगी और आप अपनी ज़िन्दगी को अच्छे से जी भी सकेंगे स्वयं को हमेशा अहंकार, परनिंदा आदि जैसे अवगुणों से दूर रखें , साथ आपके कुछ नहीं जाने वाला बाकी रह जाएगा तो बस आपका दूसरों के साथ किया गया अच्छा व्यवहार एक अच्छी याद के रूप में लोगों के दिलों में हमेंशा ज़िंदा रहेगी, प्रयास करें कि कभी भी आपके अंदर की इंसानियत खत्म न होने पाये,बच्चों से प्यार करना सीखें तो कमज़ोर,असहाय जनों की सहायता के लिए हमेशा आगे रहें अपने बुज़ुर्गो की सेवा करें दूसरों के काम आने का प्रयास करें, अपनी सोच को तार्किक रखें वहीं सही ग़लत में अंतर करना भी सीखें, अपने दृष्टिकोण को सदैव सकारात्मक रखें सदैव अपने अंदर की आवाज़ को सुने जिसे हम ज़मीर भी कहते हैं, और इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि आप स्वयं भी कभी भी अपनी इच्छाओं को अपनी खुशियों को नज़र अंदाज़ न करें, क्योंकि जब तक हम स्वयं संतुष्ट नहीं होंगे तब तक हम संतुष्ट समाज का निर्माण भी नहीं कर सकते हैं, दूसरों का ख़्याल रखने के साथ अपना भी ख़याल रखिए, अपने अंदर के शौक़ को कभी मरने मत दीजिए आप हैं तभी ये ज़िन्दगी है और ये तभी खूबसूरत होगी जब आप खुश और संतुष्ट होंगे।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 32 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
मां के आँचल में
मां के आँचल में
Satish Srijan
दिल की जमीं से पलकों तक, गम ना यूँ ही आया होगा।
दिल की जमीं से पलकों तक, गम ना यूँ ही आया होगा।
डॉ.सीमा अग्रवाल
जब काँटों में फूल उगा देखा
जब काँटों में फूल उगा देखा
VINOD CHAUHAN
*कृष्ण की दीवानी*
*कृष्ण की दीवानी*
Shashi kala vyas
"दोस्त-दोस्ती और पल"
Lohit Tamta
!! सुविचार !!
!! सुविचार !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
अब तो इस राह से,वो शख़्स गुज़रता भी नहीं
अब तो इस राह से,वो शख़्स गुज़रता भी नहीं
शेखर सिंह
पलक-पाँवड़े
पलक-पाँवड़े
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
भाग दौड़ की जिंदगी में अवकाश नहीं है ,
भाग दौड़ की जिंदगी में अवकाश नहीं है ,
Seema gupta,Alwar
हरा-भरा अब कब रहा, पेड़ों से संसार(कुंडलिया )
हरा-भरा अब कब रहा, पेड़ों से संसार(कुंडलिया )
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelam Sharma
दूर क्षितिज तक जाना है
दूर क्षितिज तक जाना है
Neerja Sharma
"फरेबी"
Dr. Kishan tandon kranti
के अब चराग़ भी शर्माते हैं देख तेरी सादगी को,
के अब चराग़ भी शर्माते हैं देख तेरी सादगी को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
😊चुनावी साल😊
😊चुनावी साल😊
*Author प्रणय प्रभात*
इस राह चला,उस राह चला
इस राह चला,उस राह चला
TARAN VERMA
जीवन डगर पहचान चलना वटोही
जीवन डगर पहचान चलना वटोही
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हाइकु- शरद पूर्णिमा
हाइकु- शरद पूर्णिमा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*दहेज*
*दहेज*
Rituraj shivem verma
आप हो न
आप हो न
Dr fauzia Naseem shad
आज तुम्हारे होंठों का स्वाद फिर याद आया ज़िंदगी को थोड़ा रोक क
आज तुम्हारे होंठों का स्वाद फिर याद आया ज़िंदगी को थोड़ा रोक क
पूर्वार्थ
अपनी कलम से.....!
अपनी कलम से.....!
singh kunwar sarvendra vikram
यक़ीनन एक ना इक दिन सभी सच बात बोलेंगे
यक़ीनन एक ना इक दिन सभी सच बात बोलेंगे
Sarfaraz Ahmed Aasee
आलोचक सबसे बड़े शुभचिंतक
आलोचक सबसे बड़े शुभचिंतक
Paras Nath Jha
कविता के मीत प्रवासी- से
कविता के मीत प्रवासी- से
प्रो०लक्ष्मीकांत शर्मा
3188.*पूर्णिका*
3188.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुझको कबतक रोकोगे
मुझको कबतक रोकोगे
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Being quiet not always shows you're wise but sometimes it sh
Being quiet not always shows you're wise but sometimes it sh
Sukoon
तबीयत मचल गई
तबीयत मचल गई
Surinder blackpen
भाईदूज
भाईदूज
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
Loading...