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3 Jan 2024 · 1 min read

यक़ीनन एक ना इक दिन सभी सच बात बोलेंगे

यक़ीनन एक ना इक दिन सभी सच बात बोलेंगे
ख़िलाफ़े ज़ुल्म इक होकर ये अख़बारात बोलेंगे

ये तन्हाई, ये रुसवाई, ये आंसू , रन्ज और नाले
तुम्हारी बे वफ़ाई की इन्हें सौग़ात बोलेंगे

कभी दिल में बसा कर तुम मुझे महसूस कर लेना
तुम्हारी धड़कनों में मेरे अहसासात बोलेंगे

ख़मुशी ओढ़ कर बैठा रहूँगा हश्र में फिर भी
मिरे सर पर लगे हैं ख़ुद ही इल्ज़ामात बोलेंगे

क़लम जब भी उठेगा तेरा ‘आसी’ हक़ बयानी पर
तिरे अशआर में पिन्हाँ तख़य्युलात बोलेंगे

Language: Hindi
106 Views
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