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25 May 2023 · 1 min read

मां के आँचल में

बड़े हो गए नहीं है शिशुपन,
सोचकर ऐसा न घबराना।
मन अधीर कभी जब हो जाये,
मां के आँचल में छिप जाना।

अपना सिर माँ की गोदी में,
रख कर के आजमाओ तो।
उसके हाथ के अद्भुत जादू,
से सुकून पा जाओ तो।

वही चैन वही थपकी लोरी,
अब भी वैसे पाओगे।
उलझन फिक्र खिन्न बेचैनी,
से निवृत्त हो जाओगे।

‘खुद तो सभ्य’ गवांर लगे मां,
उसके भाव लगे दुखने।
बड़े हो गए साहब बन गए,
मां में ऐब लगे दिखने।

ज्यों की त्यों माता है वैसे,
उसके प्रेम में न हल्ला।
नज़र उतरती लेत बलैया,
अब भी तू प्यारा लल्ला।

तेरे भाव बिखर गए सब में,
यार दोस्त पत्नी बच्चे।
मां का प्रेम अडिग भूधर सम,
सीप में ज्यो मोती सच्चे।

अबकी छुट्टी में जब जाना,
मां की आंखों को लखना।
नेह का सागर दिखेगा पूरित,
दृष्टि वात्सल्य पर रखना।

मां को मानव न समझे कोई,
मां तो सृजनहारा है।
जगत में प्रभु की उत्तम रचना,
अनुपम सा उपहारा है।

जब तक मां जीवित है तेरी,
बिन कारण के भी हरसाना।
मन अधीर कभी जब हो जाये,
मां के आँचल में छिप जाना।

Language: Hindi
1 Like · 167 Views
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