“इंसान की जमीर”
“इंसान की जमीर”
इंसान की जमीर तभी जिन्दा रहती है, जब वो राजनीति के नशे से ऊपर उठकर सच्ची और निष्पक्ष बात करें। वजह सच्चाई तो सच्चाई होती है, क्योंकि सूरज को बादल हमेशा के लिए ढँक नहीं सकता।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“इंसान की जमीर”
इंसान की जमीर तभी जिन्दा रहती है, जब वो राजनीति के नशे से ऊपर उठकर सच्ची और निष्पक्ष बात करें। वजह सच्चाई तो सच्चाई होती है, क्योंकि सूरज को बादल हमेशा के लिए ढँक नहीं सकता।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति