Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Oct 2022 · 1 min read

आंखों के दपर्ण में

आंखों के दपर्ण में
आंख डालकर तो देखो
मेरे मन की गहराई को
सागर से भी ज्यादा है जो
गहरा है मन
भावनाये तरंगे उठती है
फिर उठकर गिरती है
नाटक के पर्दे के समान
तुम में मुझमें पर्दा हो जाता है
लज्जा से पल्लू को गांठ लगाते हुए
लज्जा से लजाते हए
आंखों के दपर्ण में
आंख डालकर तो देखो
मेरे मन की गहराई को
सागर से भी ज्यादा है जो
समाज की मर्यादा ऐसी है
जिसमें बंधन बहुत से है
उन बंधनों में बाधंकर तो देखो।

नाम-मनमोहन लाल गुप्ता
मोहल्ला-जाब्तागंज, नजीबाबाद, बिजनौर, यूपी
मोबाइल नंबर 9152859828

Language: Hindi
2 Likes · 625 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
*वर्षा लेकर आ गई ,प्रिय की पावन याद(कुंडलिया)*
*वर्षा लेकर आ गई ,प्रिय की पावन याद(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आशा की किरण
आशा की किरण
Nanki Patre
मैं मधुर भाषा हिन्दी
मैं मधुर भाषा हिन्दी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
दोहे ( किसान के )
दोहे ( किसान के )
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*तुम और  मै धूप - छाँव  जैसे*
*तुम और मै धूप - छाँव जैसे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
रिश्ते से बाहर निकले हैं - संदीप ठाकुर
रिश्ते से बाहर निकले हैं - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
ज़िंदगी का दस्तूर
ज़िंदगी का दस्तूर
Shyam Sundar Subramanian
11-कैसे - कैसे लोग
11-कैसे - कैसे लोग
Ajay Kumar Vimal
जीवन
जीवन
लक्ष्मी सिंह
*कुमुद की अमृत ध्वनि- सावन के झूलें*
*कुमुद की अमृत ध्वनि- सावन के झूलें*
रेखा कापसे
सपनों में खो जाते अक्सर
सपनों में खो जाते अक्सर
Dr Archana Gupta
विदंबना
विदंबना
Bodhisatva kastooriya
भीष्म देव के मनोभाव शरशैय्या पर
भीष्म देव के मनोभाव शरशैय्या पर
Pooja Singh
स्मृति ओहिना हियमे-- विद्यानन्द सिंह
स्मृति ओहिना हियमे-- विद्यानन्द सिंह
श्रीहर्ष आचार्य
"बतंगड़"
Dr. Kishan tandon kranti
तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है
तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बात न बनती युद्ध से, होता बस संहार।
बात न बनती युद्ध से, होता बस संहार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
आप में आपका
आप में आपका
Dr fauzia Naseem shad
*
*"मजदूर की दो जून रोटी"*
Shashi kala vyas
जिंदगी में मस्त रहना होगा
जिंदगी में मस्त रहना होगा
Neeraj Agarwal
पुकार
पुकार
Dr.Pratibha Prakash
आँख मिचौली जिंदगी,
आँख मिचौली जिंदगी,
sushil sarna
अस्तित्व की पहचान
अस्तित्व की पहचान
Kanchan Khanna
2461.पूर्णिका
2461.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कार्ल मार्क्स
कार्ल मार्क्स
Shekhar Chandra Mitra
Republic Day
Republic Day
Tushar Jagawat
रिश्ते
रिश्ते
Sanjay ' शून्य'
जिस सामाज में रहकर प्राणी ,लोगों को न पहचान सके !
जिस सामाज में रहकर प्राणी ,लोगों को न पहचान सके !
DrLakshman Jha Parimal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
Loading...