जिस सामाज में रहकर प्राणी ,लोगों को न पहचान सके !
जिस सामाज में रहकर प्राणी ,लोगों को न पहचान सके !
उसका जीवन क्या है जीवन ,जो दर्द किसी न बाँट सके !!@परिमल
जिस सामाज में रहकर प्राणी ,लोगों को न पहचान सके !
उसका जीवन क्या है जीवन ,जो दर्द किसी न बाँट सके !!@परिमल