अस्तित्व
पत्थर पर गिरते ही शीशा चूर-चूर होता है ,
और शीशे पर पत्थर पड़ते ही
शीशा चूर-चूर बिखरता है ,
हर बार शीशे को तोड़कर
पत्थर अपनी ह़स्ती जताता है ,
और शीशा हर बार टूटकर यह प्रकट करता है
कि वह टूटने के लिये ही बना है ,
इसी तरह कुछेक पत्थर दिल इंसान
दूसरों के शीशानुम़ा दिल को तोड़कर
अपनी हस्ती काय़म करने की
कोशिश में लगे हुए हैं ,
और कुछेक शीशे का दिल लिये
हर बार टूटते- बिखरते रहते हैं ,
और हमेशा पत्थर से टक्कर लेने की
कोशिश करते रहते हैं ,
उन्हें पता नहीं की टक्कर लेने के लिए
ठोस अस्तित्व की आवश्यकता होती है ,
जिससे उसके टुकड़े अपने अस्तित्व की
रक्षा करते हुए टूटकर बिखरने न पाऐं ,
और उसके लिए आत्मविश्वास से परिपूर्ण
दिल की जरूरत होती है ,
जो पत्थर दिल इंसानों का मनोबल हिला सके ,
उन्हें उनके किये आघातों का अनुभव दिला सके ,
और सिद्ध कर सके कि अब ये शीशेनुमा दिल , पत्थरदिलों का मुकाबला कर सकते हैं ,
तथा उनमे दरार पैदा करके अपनी सामर्थ्य जता सके,
कि अब पत्थरों के दिन पूरे हो चुके हैं ,
और पत्थरों को तोड़ने बिखराने के लिए
मज़बूत दिल शीशे पैदा हो चुके हैं ।