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17 May 2024 · 1 min read

अब तक तबाही के ये इशारे उसी के हैं

अब तक तबाही के ये इशारे उसी के हैं
ये तख़्त ओ ताज इसलिए सारे उसी के हैं

डसने का जिसका काम ही सदियों से चल रहा
ये नाग हैं उसी के पिटारे उसी के हैं

हर एक शख़्स अब भी मोहब्बत के साथ है
जो नफ़रतों में पल रहे सारे उसी के हैं

मसनद पे उसको लाके बड़ी भूल हो गई
अब तक दिए हुए ये ख़सारे उसी के हैं

साइंस-दाँ से आगे हाँ एक साईं भी तो है
ये चाँद है उसी का सितारे उसी के हैं

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