चाय की चुस्की संग
चाय की चुस्की संग तेरा ख्याल आया।
लहर उठी मन में,मिलने को ये ललचाया।
बार बार आसमां को तकती मेरी निगाहें।
बहुत बार देखा ,सूनी क्यूं पड़ी थी राहें।
दिल की धड़कन में ,बस जाते हैं कुछ लोग।
खत्म हो जाती है सांसें,रह जाते बस सोग ।
जानें कैसे हमने सह ली तेरी खुदा बेपरवाही।
किस मुंह से तुम्हें बताये, क्या थी इस लगाई।
कठिन रास्ते,दूर मंजिलें,थक गये चलते चलते।
माफ़ कर गुनाह खुदा,रह गये हाथ मलते मलते
सुरिंदर कौर