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22 Apr 2024 · 1 min read

प्रेम…..

प्रेम में किसी वशीकरण की
आवश्यकता नहीं होती,,
प्रेम तो स्वयं सबसे बड़ा वशीकरण है।
जिस से प्रेम हुआ,
फिर सब कुछ उसी के वश में।।
उसी के लिए हँसना ,
उसी के के लिए रोना ।
जैसे कोई जादू टोना।।
ना बाँधने की आवश्कता,
न पकड़ कर रखने की।
यदि प्रेम होगा,तो स्वयं ही खींचा चला आएगा।
प्रेम नहीं होगा , तो आकर भी चला जाएगा ।।
वशीकरण तो कुछ पल का होता है,,
या फिर कुछ दिन का।
तिलिस्म टूटते ही,
टूट जाता है सब मायाजाल।
दूर होता है मन का वहम,
और झूठे प्रेम की चाल।
परंतु प्रेम अनंत हैं,
सबसे मजबूत बंधन है प्रेम का।
लाखों जन्मों बाद भी,
पहचान लेता है अपने प्रेमी को,
जैसे एक शिशु,एक शावक,,
बंध आँखों से भी पहचान लेता है
अपनी माँ को।
सृष्टि में ,प्रकृति में कुछ इस तरह रचा बसा है प्रेम,
कि जीव जन्तु भी समझते हैं अंतर ,
प्रेम भरे स्पर्श का,
और हत्या वालें हाथ का।
प्रेम से फेंके गए दानों का,
और उसके पीछे की घात का।
फिर भी,इंसान हो या जीव जन्तु,
सबसे ज्यादा छले जाते हैं प्रेम के नाम पर,
एक लेख प्रेम पर… शेखर सिंह

Language: Hindi
20 Views
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