Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 May 2024 · 1 min read

हां अब भी वह मेरा इंतजार करती होगी।

हां अब भी वह मेरा इंतजार करती होगी,
वहीं सफेद सूट और कानों में बाली पहनती होगी
हां अब भी वह मेरा इंतजार करती होगी।

बिखरी बिखरी जुल्फें, लाल लाल होंठ
हाथों में कभी कंगन ,कभी रंग-बिरंगी चुड़िया पहनती होंगी
मेरे लिए खूब सजती और संवरती होगी,
हां अब भी वह मेरा इंतजार करती होगी।

चांदनी रातो में,खोई रहती होगी मेरी बातों में,
करवटें बदल बदल कर कभी जागतीं कभी सोती होगी,
मेरी याद में कभी हंसती तो कभी रोती होगी
हां अब भी वह मेरा इंतजार करती होगी।

उससे मिलने उसके कालेज में मैं, जिन गलियों में उसे ढूंढता था,
उन गलियों को देखकर मेरी राह तकती होगी,
हां अब भी वह मेरा इंतजार करती होगी।।
: राकेश देवडे़ बिरसावादी

Language: Hindi
35 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दुनिया एक मेला है
दुनिया एक मेला है
VINOD CHAUHAN
आसुओं की भी कुछ अहमियत होती तो मैं इन्हें टपकने क्यों देता ।
आसुओं की भी कुछ अहमियत होती तो मैं इन्हें टपकने क्यों देता ।
Lokesh Sharma
सब्जियां सर्दियों में
सब्जियां सर्दियों में
Manu Vashistha
विचारों को पढ़ कर छोड़ देने से जीवन मे कोई बदलाव नही आता क्य
विचारों को पढ़ कर छोड़ देने से जीवन मे कोई बदलाव नही आता क्य
Rituraj shivem verma
ना ढूंढ मोहब्बत बाजारो मे,
ना ढूंढ मोहब्बत बाजारो मे,
शेखर सिंह
कई आबादियों में से कोई आबाद होता है।
कई आबादियों में से कोई आबाद होता है।
Sanjay ' शून्य'
"कैफियत"
Dr. Kishan tandon kranti
हे कृतघ्न मानव!
हे कृतघ्न मानव!
Vishnu Prasad 'panchotiya'
टेसू के वो फूल कविताएं बन गये ....
टेसू के वो फूल कविताएं बन गये ....
Kshma Urmila
रूठे लफ़्ज़
रूठे लफ़्ज़
Alok Saxena
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—1.
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—1.
कवि रमेशराज
जीवन
जीवन
sushil sarna
"राबता" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ଧରା ଜଳେ ନିଦାଘରେ
ଧରା ଜଳେ ନିଦାଘରେ
Bidyadhar Mantry
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १०)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १०)
Kanchan Khanna
*** बिंदु और परिधि....!!! ***
*** बिंदु और परिधि....!!! ***
VEDANTA PATEL
दीया इल्म का कोई भी तूफा बुझा नहीं सकता।
दीया इल्म का कोई भी तूफा बुझा नहीं सकता।
Phool gufran
मुझे भी
मुझे भी "याद" रखना,, जब लिखो "तारीफ " वफ़ा की.
Ranjeet kumar patre
घड़ी घड़ी में घड़ी न देखें, करें कर्म से अपने प्यार।
घड़ी घड़ी में घड़ी न देखें, करें कर्म से अपने प्यार।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
■ आज की सलाह। धूर्तों के लिए।।
■ आज की सलाह। धूर्तों के लिए।।
*प्रणय प्रभात*
मुझे तो मेरी फितरत पे नाज है
मुझे तो मेरी फितरत पे नाज है
नेताम आर सी
हवा तो थी इधर नहीं आई,
हवा तो थी इधर नहीं आई,
Manoj Mahato
" बीता समय कहां से लाऊं "
Chunnu Lal Gupta
विध्न विनाशक नाथ सुनो, भय से भयभीत हुआ जग सारा।
विध्न विनाशक नाथ सुनो, भय से भयभीत हुआ जग सारा।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
शिव स्तुति
शिव स्तुति
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मैं निकल पड़ी हूँ
मैं निकल पड़ी हूँ
Vaishaligoel
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
विजय कुमार अग्रवाल
दिल से निभाती हैं ये सारी जिम्मेदारियां
दिल से निभाती हैं ये सारी जिम्मेदारियां
Ajad Mandori
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।
Neelam Sharma
Loading...