“विधान ऐसा बने”
कवित्त छंद की परिभाषा और उदाहरण
कवित्त छंद
—————यह एक वर्णिक छंद है।इसमें कोई गण का नियम नहीं होता है।इसके प्रत्येक चरण में इकतीस से तैतीस वर्ण या अक्षर होते हैं।कवित्त छंद कई तरह के होते हैं।जिनमें मनहरण,देवघनाक्षरी,रूप घनाक्षरी आदि प्रसिद्ध हैं।
इसमें चार चरण होते हैं।प्रत्येक चरण में यति आठ-आठ-आठ-सात अक्षरों पर होती है।सभी चरणों में तुकान्तता अनिवार्य है।यह छंद मधुर भावों की अभिव्यक्ति की बजाय ओजभावों के लिए अधिक उपयुक्त है।इसका पाठ घनगर्जन सम होना चाहिए।
मनहरण कवित्त छंद
“विधान ऐसा बने”
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बलात्कारियों को सज़ा,तुरन्त ही दीजिएगा,
अपराध मिट जाएँ,विधान ऐसा बने।
सबक ऐसा मिले,देखके कलेजा हिले,
रुह भी काँप उठे रे,विधान ऐसा बने।
अपराध करें छूटें,भाग शोषित के फूटें,
अब खिलवाड़ नहीं,विधान ऐसा बने।
सरेआम फाँसी मिले,छूट ना ज़रा सी मिले,
बंद होंगे अपराध,विधान ऐसा बने।
2-
उजड़े ना घर कोई,जगे मानवता सोई,
मान सबका हो यहाँ,विधान ऐसा बने।
प्रतिकूल काम न हो,अन्याय का नाम न हो,
दुष्कर्म कुकर्म मिटें,विधान ऐसा बने।
बुराइयाँ हट जाएँ,अच्छाइयाँ सट जाएँ,
सब अपने से लगें,विधान ऐसा बने।
निर्भया निर्भय रहे,सारे जब सभ्य रहें,
दुनिया स्वर्ग हो जाए,विधान ऐसा बने।
3-
छोटे बच्चों को रौंदना,छी:शर्मनाक बड़ा है,
ये कुकृत्य मिट जाएँ,विधान ऐसा बने।
दोहरी नीतियाँ छोड़ें,घर जोड़े नहीं तोड़ें,
एक होके रहें यहाँ,विधान ऐसा बने।
व्यावहार एक रहे,सबका विकास हो,
भेद सारे मिट जाएँ,विधान ऐसा बने।
हँसके रहें मानव,जैसे कमल पानी में,
सपना साकार लगे,विधान ऐसा बने।
4-
सत्य प्रेम शक्ति रहें,धर्म उसी को हैं कहें,
सभी अपना के चलें,विधान ऐसा बने।
अन्याय सहना नहीं,ये भी अन्याय सुनिए,
न्याय समय से मिले,विधान ऐसा बने।
पदाधिकारी सही हो,हक जिसका वही हो,
सब काम ठीक होंगे,विधान ऐसा बने।
स्वतंत्र विचार रहें,सबके अधिकार रहें,
छिने नहीं अधिकार,विधान ऐसा बने।
?आर.एस.प्रीतम?