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18 Sep 2021 · 9 min read

अचिकित्सकीय लोगों हेतु थोड़ी चिकित्सकीय जानकारी

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संक्रमण :- वायरल(सूक्ष्म-जीवाणु जनित) और बैक्टीरियल(जीवाणु जनित)
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वायरल अति सूक्ष्म जीवाणु है और बैक्टीरिया से भी सूक्ष्म होता है। वायरल संक्रमण वायरस के कारण होता है तथा यह एक सुरक्षात्मक कवच / परत से ढँका व सुरक्षित रहता है। यह बैक्टीरिया से भी छोटा होता है, इसलिए बैक्टीरिया की तुलना में इसे मारना अधिक कठिन होता है।

वायरल संक्रमण
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वायरल संक्रमण में एक जीवित वायरस एक जीवित कोशिका में घुसता/शामिल होता, है और कोशिका के आनुवंशिक कोड को अपने स्वयं के लिए/साथ फिर से लिखता है। वायरस खुद से जीवित रहने वाला जीव नहीं हैं और प्रजनन के लिए इसे “जीवित” मेजबान की आवश्यकता होती है जहां यह अपनी संख्या बढ़ा सके। अन्यथा यह जीवित नहीं रह सकता है।
वायरस एक सूक्ष्म जीव है जो शरीर में संक्रमण ( शरीर के कोशिका में अनावश्यक परिवर्तन व अंगों के कार्य प्रणाली में बदलाव,निष्क्रियता व अति सक्रियता ) का कारण बनता है।इससे हम प्रभावित होते हैं। वायरस, डीएनए या आरएनए के रूप में जानी जाने वाली आनुवंशिक सामग्री से बने होते हैं, जिसका उपयोग वायरस अपनी प्रतिकृति बनाने के लिए करता है। वायरस जीवित रहे इसके लिए वह पहले जीवित कोशिका पर आक्रमण करता है एवं उसे मर देता है,फिर मृत सामग्री का उपयोग अपनी प्रतिकृति बनाने में करता है।और तब यह खुद को गुणित करता एवं अधिक वायरस/ जीवाणुओं को पैदा करता है।

यह काम कैसे करता है
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यह खुद को शरीर के जीवित कोशिका का अतिथि बना लेता है। यहाँ ध्यान देने योगय बात यह है कि यदि मेजबान कोशिका अतिथि बनाने से इंकार करे तो संक्रमण से बचा लेता है। दो तरीके हो सकते हैं -1) वायरस को पास न फटकने दे (2) घुसे तो नष्ट कर दे।
वायरस यदि अपने आप को एक मेजबान कोशिका का अतिथि बना ले तो उसमें संलग्न होकर उसे या तो मार सकता है या उसके कार्य करने की प्रक्रिया को बदल सकता है।अगर कोशिका मर जाती है तो मृत सामाग्री से नए प्रकार के वायरस पैदा होते हैं, और वे अन्य कोशिकाओं के साथ पूर्वोक्त क्रिया कर उन्हें संक्रमित करते हैं। इस प्रकार हम समझ सकते हैं कि हमारी कोशिकाएँ यदि अपना निर्धारित कार्य नहीं कर पाती तो हमें बीमार कर देती है है।

संक्रमण का दायरा
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साधारणत: वायरस केवल एक प्रकार के सेल को संक्रमित करता है। उदाहरण के लिए, कोल्ड(ठंढ) वायरस केवल ऊपरी श्वसन पथ की कोशिकाओं को संक्रमित करेगा।दूसरे प्रकार के वायरस दूसरी कोशिकाओं को प्रभावित करता है।
संक्रमण का प्रसारण
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वायरस कई तरीकों से संप्रेषित होता है, जैसे (1)किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना (2)संक्रमित पदार्थ को निगलना (3)संक्रमित सतहों से संपर्क के बाद शरीर के अंत:भाग को छूना (3) संक्रमित वातावरण के पास जाना और श्वास लेना(4) असुरक्षित यौन संबंध बनाना,इत्यादि। अस्वच्छता और खाने की असुरक्षित आदतें जैसे कारक वायरल संक्रमण के जोखिम को बढ़ाने का काम करते हैं। वायरल संक्रमण के सबसे आम प्रकार में श्वसन पथ शामिल है।वायरस शरीर या शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है और सामान्य सर्दी, फ्लू,कोविड, चिकन पॉक्स गैस्ट्रोएन्टेरिटिस, या दाद जैसे संक्रमण पैदा कर सकते हैं।
सामान्य सर्दी अक्सर होने वाला वायरल संक्रमण है और इसमें आमतौर पर छींक आना, भरी हुई नाक, गले में खराश और खांसी,बलगम जैसे लक्षण शामिल होते हैं। हालांकि ठंड के कारण होनेवाला जुकाम (यह श्वसन तंत्र का संक्रमण के कारण होने वाला रोग है।) नाक और गले का मामूली संक्रमण है,किन्तु, अत्यधिक संक्रामक होता है और छींक या खांसी से तरल पदार्थ द्वारा फैलता है, जिसमें संक्रमण होता है। जुकाम एक दो दिन से दो सप्ताह तक रह सकता है।
इन्फ्लुएंजा, जिसे “फ्लू” के रूप में भी जाना जाता है भी, एक श्वसन संक्रमण है। यह भी वायरस के कारण होता है। फ्लू आम सर्दी से अलग है। सर्दी/जुकाम में छींक आना, भरी हुई नाक, गले में खराश और खांसी जैसे लक्षण होते हैं। वहीं फ्लू के लक्षणों में शरीर में ठंड लगना, बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों/शरीर में दर्द और गले में खराश,कमजोरी आदि शामिल हैं। कई अन्य वायरस जैसे कोविड19, फ्लू जैसे श्वसन संक्रमणों के विपरीत, कई लोगों में गंभीर बीमारी और जानलेवा जटिलताओं का कारण बन सकता है। फ्लू भी सामान्य जुकाम के समान वायुजनित तरीके से फैलता है। ठंड और फ्लू दोनों के वायरस अत्यधिक आबादी वाले क्षेत्रों और भीड़-भाड़ वाले जगहों से आसानी से संप्रेषित होते हैं।
पेट की जठरांत्र प्रणाली भी वायरस से प्रभावित होती है और आमतौर पर दस्त और / या उल्टी जैसे लक्षणों से युक्त होते हैं। पेट के वायरस दूषित भोजन या पानी से फैल सकते हैं और वायरल आंत्रशोथ, पेट और आंतों की सूजन (छोटे और बड़े) का कारण बन सकते हैं। अंत में ऐसे लक्षणों के बाद यदि अनुचित ढंग से हाथ धोयेँ साफ-सफाई का ध्यान न रखें, या डायपर को संभालने में लापरवाही बरतने से यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। गैस्ट्रोएन्टेरिटिस/ जठरांत्र प्रणाली/ के लक्षणों में उल्टी, दस्त, कम-ग्रेड बुखार और पेट दर्द के साथ मतली शामिल हो सकती है। बहुत से लोग इसे “पेट फ्लू” भी कह देते हैं, हालांकि इस वायरस का इन्फ्लुएंजा के वायरस से कोई मतलब नहीं है।
त्वचा का संक्रमण
वायरल संक्रमण से त्वचा भी संक्रमित होती है जैसे सामान्य मस्सा या चिकन पॉक्स। चिकनपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है; 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में होने वाले ज्यादातर मामलों में, लेकिन बड़े बच्चे और वयस्कको भी इससे परेशानियाँ हो सकती है। इसके लक्षणों में खुजली, दाने, बुखार और सिरदर्द शामिल हैं। दाने छाले जैसा होता है और आमतौर पर चेहरे, खोपड़ी या धड़ पर दिखाई देता है। रोग आमतौर पर हल्का होता है और 5 से 10 दिनों तक रहता है, हालांकि वयस्क और बड़े बच्चे इससे बीमार होते हैं। यह मानव संपर्क से बहुत आसानी से फैलता है।
हरपीज जैसे वायरस मुंह, जननांगों और गुदा में दाद के रूप में प्रभावित कर सकता है। मौखिक दाद मुंह और चेहरे के आसपास घावों के रूप में, जननांग दाद जननांगों, नितंबों और गुदा में घावों के रूप में दिखाता है।
जननांग दाद मुंह और जननांगों के माध्यम से यौन संपर्क के माध्यम से होता है।

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वायरल संक्रमण के दूसरे लक्षण
वायरल संक्रमण हल्के से लेकर गंभीर तक कई प्रकार के लक्षणों के साथ आते हैं। शरीर के किस अंग पर क्या असर होता है, इस पर निर्भर करता है कि वायरस का प्रकार क्या है और प्रभावित व्यक्ति की आयु व संपूर्ण स्वास्थ्य कैसा है। ।
वायरस जनित रोगों में निम्नलिखित लक्षण शामिल हो सकते हैं—–
1. बुखार
2. मांसपेशी में दर्द
3. खाँसना व बलगम
4. सूखी खांसी
5. छींक आना
6. बहती नाक
7. सरदर्द
8. ठंड लगना
9. दस्त
10. उल्टी
11. चकत्ते
12. कमजोरी
13. स्वास-प्रश्वास में कठिनाई
निम्न लक्षण अधिक गंभीर लक्षणों में शामिल हैं———————
1. व्यक्तित्व में बदलाव
2. गर्दन में अकड़न
3. शरीर में जल की कमी
4. दिमाग का मूर्छापन
5. अंगों का पक्षाघात
6. भ्रम की स्थिति
7. पीठ दर्द
8. समझ / भावनाओं का ह्रास/नुकसान
9. मूत्राशय और आंत्र का बिगड़ना
10. तंद्रा जो एक कोमा में बदल जा सकती है इत्यादि

संक्रमण से प्रारंभिक बचाव
त्वचा और श्लेष्म झिल्ली/ mucous membrane / संक्रमण से रक्षा की पहली पंक्ति हैं। जब वायरस शरीर में प्रवेश करता है, तो शरीर की प्रतिरक्षा सुरक्षा प्रणाली उत्तेजित होती है और कई तरह की कोशिकाएँ (लिम्फोसाइट्स और मोनोसाइट्स) वायरस पर हमला करना और नष्ट करना शुरू करती है।ये जन्मजात या प्राकृतिक प्रतिरक्षा के रूप में जाने जाते हैं।
वायरल संक्रमण का निदान
एक वायरल संक्रमण का पहचान आमतौर पर शारीरिक लक्षणों और बीमारी के इतिहास पर आधारित होता है। इन्फ्लूएंजा जैसी एक स्थिति, जो वायरस के कारण होती है, आमतौर पर निदान करना आसान होता है क्योंकि अधिकांश लोग लक्षणों से परिचित होते हैं। अन्य प्रकार के वायरल संक्रमण का निदान करना कठिन हो सकता है और विभिन्न प्रकार के परीक्षणों को करना पड़ सकता है।
वायरल संक्रमण के पहचान हेतु विभिन्न परीक्षण
1. वायरस के एंटीबॉडी/प्रतिविष के लिए रक्त का का परीक्षण या /और एंटीजन(यह एक कण है जो हमारे प्रतिरक्षा के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को वायरस के विरुद्ध प्रतिविष बनाने का काम करने हेतु उत्प्रेरित करता है) परीक्षण
2. संक्रमित क्षेत्र से लिए गए रक्त, शारीरिक तरल पदार्थ या अन्य सामग्री के नमूनों का परीक्षण
3. मस्तिष्कमेरु द्रव/ cerebrospinal fluid/ की जांच करने के लिए स्पाइनल टैप
4. पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर PCR) तकनीक का उपयोग वायरल आनुवंशिक सामग्री की कई प्रतियां बनाने के लिए किया जा सकता है, जिससे डॉक्टर्स वायरस को तेजी से और सही तरीके से पहचान सकें।
5. चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) टेम्पोरल लोब में बढ़ी हुई सूजन का पता लगा सकता है,आदि

bacterial infection (वैक्ट्रिया के जीवाणु से संक्रमण)
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एक bacterial infection (जीवाणु संक्रमण) होने के लिए, रोगजनक जीवाणु (pathogenic bacterium ) को दूषित पानी, कटे-फटे स्थान से या किसी संक्रमित व्यक्ति या दूषित वस्तुओं के संपर्क के माध्यम से शरीर में प्रवेश करना आवश्यक है। अत: इस प्रकार के प्रवेश रोकने से इस संक्रमण से बचा जा सकता है।
बैक्टीरिया एक जीवित सूक्ष्मजीव है और खुद को विभाजित करके पुन:-पुन: बनाता है। जब कि वायरस मर जाएगा यदि इसके पास मेजबान नहीं है। वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण के बीच एक बड़ा अंतर यह है कि बैक्टीरिया जीवाणु संक्रमण को निर्जीव वस्तुओं जैसे कि दरवाजे के हैंडल और स्वागत-मेज के सतह से भी फैलाया जा सकता है तथा श्वसन या पाचन तंत्र के माध्यम से भी शरीर के अंदर जा सकता है । जबकि कोविड रोगजनक वायरस को श्वास के द्वारा या दूसरे किसी तरीके से श्वसन-तंत्र में जाना आवश्यक है।
कुछ वायरल संक्रमण के कारण क्या हैं?
जब शरीर वायरल कणों के संपर्क में आता है, तो मानव कोशिकाएं वायरस की चपेट में आ जाती है।सर्वप्रथम शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इन कणों को नष्ट करने की कोशिश करती है।यदि प्रतिरक्षा प्रणाली सक्षम नहीं है तो
वायरस को आसानी से उपलब्ध कोशिकाओं से अधिक आसानी से संलग्न करने का अवसर मिल जाता है।इससे अक्सर बुखार, ठंड लगना और मांसपेशियों में दर्द जैसे सामान्य लक्षण प्रकट होते हैं। अक्षम या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस को गुणित होने में भी आसान बनाता है। फिर इस प्रकार के लक्षण आगे बढ़ते हैं जब तक कि प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस से लड़कर उसे समाप्त नहीं कर सकती।इसलिए यदि प्रतिरक्षा प्रणाली को किसी प्रकार मजबूती दी जा सके तो वायरस से लड़ना अत्यंत सटीक व प्रभावी हो सकता है।
बच्चों में वायरल संक्रमण
बच्चों में वायरल का संक्रमण अक्सर छुआछूत के कारण बढ़ता है क्योंकि, बच्चे अन्य बच्चों के आसपास समय बिताते हैं। एक बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली वयस्कों की तरह मजबूत नहीं है, और उनका शरीर अभी भी वायरस से कैसे लड़ें सीख रहा होता है। अक्सर बच्चों में बुखार, सिरदर्द, नाक बह रही है, खांसी, गले में खराश और थकान होती है। ये लक्षण वायरस और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के बीच लड़ाई के कारण होते हैं।
• बुखार होने पर शिशुओं और बच्चों को आराम करवाना चाहिए।उछल-कूद की अनुमति नहीं देना चाहिए।यह महत्वपूर्ण है।
• छोटे बच्चों के लिए जो अपनी नाक नहीं साफ कर सकते, नाक के दोनों किनारों से जल निकासी को चूसने के लिए एक रबर सक्शन बल्ब का उपयोग करन चाहिए या उचित तरीके से साफ करते रहना चाहिए।
• नाक यदि सूखे तो गर्म पानी के भाप आदि से नाक की निकासी को ढीला करना चाहिए ।
• चार साल से अधिक उम्र के बच्चे गले में खराश के लिए गले में खराश दूर करने के लांजेज़ चूसने में सक्षम हो तो उन्हें दे सकते हैं।
• बच्चों को अतिरिक्त पानी, फलों का रस या सूप देना चाहिए- शिशुओं को दूध देने से बचना चाहिए ।
• बच्चे की छाती और नाक मार्ग में बलगम ढीला करने के लिए गर्म भाप का उपयोग करें।

यदि उच्च तापमान 5 दिनों से अधिक रहता है, तो अपने चिकित्सक से सलाह आवश्यक है। ।
वायरल संक्रमण के लिए मदद
मानव वायरस के इलाज का सबसे अच्छा तरीका चिकित्सक प्राय: व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली की ताकत, उनकी समग्र स्वास्थ्य स्थिति, आयु, स्थिति की गंभीरता और शामिल वायरस के प्रकार पर तय करते हैं।
वायरल संक्रमण के कारण होने वाली मामूली बीमारियों में आमतौर पर केवल लक्षण के उपचार की आवश्यकता होती है। किन्तु,गंभीर लक्षणों में उच्च दर्जे के उपचार की आवश्यकता होती है। कभी-कभी सामान्य उपचार प्रणाली,पारंपरिक उपचार प्रणाली,सहायक उपचार प्रणाली,प्रकृतिक उपचार प्रणाली का मिला-जुला उपचार प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में और लक्षणों को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इसे समझना कि वायरस-जनित रोगों को “एण्टीबायोटिक्स” द्वारा उपचरित किया जा सकता है,गलत है।
वायरल संक्रमण के बाद
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वायरल संक्रमण दो सप्ताह तक चल सकता है, और संक्रमण के बाद, प्रतिरक्षा प्रणाली को ट्रैक पर वापस लाना महत्वपूर्ण है। संतरे, गाजर, कीवी, किशमिश, हरी बीन्स और स्ट्रॉबेरी जैसे विटामिन से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने चाहिए। बहुत सारे तरल पदार्थ/ पीना चाहिए, और मिठाई खाने चाहिए क्योंकि वे इससे शरीर को अम्लीय और रोगजनक बनाते हैं।
क्षमतानुसार व्यायाम शुरू करना चाहिए। योगी बहुत सारी योग क्रियाएँ बताते हैं किसी योगय योगी के सलाह से किया जा सकता है। पहले धीरे-धीरे करें, शरीर पर इसे आसानी से लें और विराम दें। शरीर लचीला है और सही परिस्थितियों में अपने को ढाल लेता है। वायरस के बाद प्रतिरक्षा प्रणाली का ख्याल रखना न केवल प्रधान स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है,बल्कि नए वायरस के आक्रमण को दूर रखने में कारगर है।
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यह गूगल से ली गयी जानकारी का सरल और आम समझ में आ सकने योगय हिन्दी में सामग्री है।

Language: Hindi
Tag: लेख
422 Views
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