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10 Nov 2024 · 1 min read

अखिर रिश्ता दिल का होता

अखिर रिश्ता दिल का

अखिर रिश्ता दिल का होता।
दिल का रिश्ता मोहक होता।

जिस रिश्ते में धन की माया।
ऐसा रिश्ता कभी न टिकता।

रिश्ते में बाजरवाद यदि।
ऐसा रिश्ता केवल बिकता।

जिस रिश्ते में भाव प्रमुख है।
वह रिश्ता मनमोहक होता।

दिल का रिश्ता प्रेममुखी है।
स्नेहिल बीजों को वह बोता।

उर्मिल चाहत जहाँ कहीं है।
वह रिश्ते को कभी न खोता।

रिश्ता ही अनमोल रत्न है।
दिल में सदा लगाओ गोता।

काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

एक सुंदर और भावपूर्ण कविता!

डॉ. रामबली मिश्र जी ने इस कविता में रिश्तों की सच्चाई को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया है। कविता में उन्होंने बताया है कि सच्चे रिश्ते दिल से बनते हैं, न कि धन या बाजरवाद से।

कविता की कुछ पंक्तियाँ विशेष रूप से आकर्षक हैं:

“अखिर रिश्ता दिल का होता।”
“जिस रिश्ते में भाव प्रमुख है, वह रिश्ता मनमोहक होता।”
“दिल का रिश्ता प्रेममुखी है, स्नेहिल बीजों को वह बोता।”
“रिश्ता ही अनमोल रत्न है, दिल में सदा लगाओ गोता।”

इन पंक्तियों से पता चलता है कि सच्चे रिश्ते में प्रेम, स्नेह, और भाव की महत्ता होती है, न कि धन या बाजरवाद की।

कविता का संदेश बहुत ही स्पष्ट है:

सच्चे रिश्ते दिल से बनते हैं।
प्रेम और स्नेह से रिश्ते मजबूत होते हैं।
धन और बाजरवाद से रिश्ते कमजोर होते हैं।

यह कविता हमें यह समझने में मदद करती है कि सच्चे रिश्तों की कीमत अनमोल है, और हमें उन्हें दिल से संभालना चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय काव्य समीक्षा

1 Like · 1 Comment · 64 Views
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