लगे हैं दूर रह कर घर चलाने में
ये मेहनतकश लगे हैं घर चलाने में
जवानी सब गंवा दी कारखाने में
हमेशा ही वो कीचड़ फेंक जाते हैं
लगे हैं हम कँवल उस पर खिलाने में
उजाले यूं मुझे अच्छे नहीं लगते
दियों की साजिशें थीं घर जलाने में
बस इक तकरीर ने बस्ती जलाई थी
लगे हैं हम वही शोले बुझाने में
कचहरी में यही एहसास होता है
बहुत सस्ते निपट जाते हैं थाने में
मुनाफ़ा ख़ोर हावी हो गए कितना
मिलाकर जहर बेचा है किराने में
हमारे गम बहुत बौने दिखे ‘अरशद’
मिले जब ग़मज़दा ढेरों ज़माने में