यमराज
एक व्यक्ति को दूतों ने
यमराज के सामने पेश किया !
बड़े ही विस्तार से दूतों ने
उसके दुष्कर्मों का बखान किया !!
अन्याय, भ्रष्टाचार और आतंक के
कई आरोप उस पर मढ़े थे !
यमराज अत्यन्त चिंतित मुद्रा में
उसकी सजा तलाशने खड़े थे !!
तभी यमराज बोले…
इस दुष्ट पापी आत्मा से यमलोक को मुक्त कराओ !
इसे ऐसी जगह छोड़ आओ !!
जहां मानवता का अभाव हो !
जानवरों जैसा इंसानों का स्वाभाव हो !!
इंसानियत खामोशी के आंसू रोए !
लोग अन्याय सहकर भी मुंह ढक कर सोए !!
इससे अच्छी कोई सजा नहीं ?
नर्क में इसके लिए कोई जगह नही !!
यमराज के आदेश को सुनने जैसे ही
दूतों ने अपने कान खोले…
तभी यमराज गरजते हुए बोले…
इस पापी के लिए यहां कोई सजा नहीं !
नर्क में इसके लिए कोई जगह नहीं !!
जाओ इसे यमलोक से बाहर फेक आओ !
कहीं नहीं तो पृथ्वी लोक में छोड़ आओ !!
• विशाल शुक्ल