ग़ज़ल…
ग़ज़ब की बात करते हो ख़ुले ज़ज्बात करते हो
शकूं दिल को मिले मिलकर नज़र सौग़ात करते हो//1
घटाओं से रखा बंधन धरा के प्रेम में हँसकर
तभी चाहत लिए चाहत भरी बरसात करते हो//2
झरोखे से नज़र आए कभी छत पर निहारा है
मगर हर बार नैनों को चुरा दिल शाद करते हो//3
गँवारा रीत हर तेरी किये सज़दा निभाता हूँ
कथन अनमोल कहकर तुम ग़ज़ब दिल दाद करते हो//4
हृदय की टीस समझी है कही मैंने कभी तुमसे
हमेशा यार तुम मेरी ख़ुशी आबाद करते हो//5
बुरा जो वक़्त आता है क़दर करना हमेशा तुम
यही हसरत बनाते हो अदब दिलशाद करते हो//6
अगर जब हाज़़िरी तेरी बनें ख़ुशियाँ किसी की भी
तभी ‘प्रीतम’ उसी से मिल बड़ा उपकार करते हो//7
आर. एस. ‘प्रीतम’