“हाशिये में पड़ी नारी”
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“हाशिये में पड़ी नारी”
हर युग में सीता बसती
हर युग में राम,
क्यों कहें रावण को राक्षस
जब सब्र भरे तमाम?
अब वन में न जाती सीते
घर में ही जल जाती,
द्रौपदी पाण्डव बीच न बँटती
दहेज में जल जाती।
“हाशिये में पड़ी नारी”
हर युग में सीता बसती
हर युग में राम,
क्यों कहें रावण को राक्षस
जब सब्र भरे तमाम?
अब वन में न जाती सीते
घर में ही जल जाती,
द्रौपदी पाण्डव बीच न बँटती
दहेज में जल जाती।