नदियों का एहसान
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नदियों में उफान, प्राकृतिक का उत्थान,सांसे बड़े जीव जंतु को मिला प्राण।
निर्मल नीर देकर नदियां करें एहसान, कौन माने यह एहसान, शोषण करने को रहें तैयार, कूड़ा करकट फेंके नागरिक महान।
सफाई का हो काम धन वोट कमाएं, नागरिक महान, नदियां बहती कुछ ना कहती, सिर्फ देती उसका कितना भी हो इस्तेमाल।
ना समझ समझ नदियों से जीवन की खेती, नदियां जाति धर्म से दूर ही रहती। नर नारी सबको जल देती।
स्वर्ग की है अगर चाहा, तो कूड़े में अस्थियां ना बहा।