Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Aug 2023 · 1 min read

“जगत जननी: नारी”

“जगत जननी: नारी”

उतारो मुझे जिस क्षेत्र में

सर्वश्रेष्ठ कर दिखाउंगी,

औरों से अलग हूं दिखने में

कुछ अलग कर के ही जाउंगी।

चाह नहीं है एक अलग नाम की

इसी को महान बनाउंगी,

नारी हूं मैं इस युग की

नारी की अलग पहचान बनाउंगी।

जो सदियों से देखा तुमने

लिपटी साड़ी में कोमल तन को,

घर-घर में रहती थी वो

पर जान न सके थे उसके मन को।

झुकी हुई सी नज़रें थी

वाणी मध्यम मधुर सी थी,

फिर भी तानों की आवाज प्रबल थी

हिम्मत न थी उफ़ करने की।

अब बदल गयी है ये पहचान

नारी की न साड़ी परिभाषा,

वाणी अभी भी मध्यम मधुर सी

पर कुछ कर गुजरने की है, प्रबल सी आशा।

चाहे जो भी मैं बन जाउं

गर्व से नारी ही कहलाउंगी,

चाहे युग कोई सा आये

मै ही जगत जननी कहलाउंगी।

दुनिया के इस कठिन मंच पर

एक प्रदर्शन मैं भी दिखलाऊंगी,

कठपुतली नहीं किसी खेल की

अब स्वतंत्र मंचन कर पंचम लहराउंगी।

मै नारी हुँ सब कुछ कर दिखनाउंगी ।

नारी भी है पुरुष के ऐसे अनेक गुणहीन अबला

कदम से कदम मिला कर चल दिखाउंगी

(स्वरा कुमारी आर्या ✍️)

2 Likes · 1 Comment · 536 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जो तेरे दिल पर लिखा है एक पल में बता सकती हूं ।
जो तेरे दिल पर लिखा है एक पल में बता सकती हूं ।
Phool gufran
दोहा
दोहा
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
खुशकिस्मत है कि तू उस परमात्मा की कृति है
खुशकिस्मत है कि तू उस परमात्मा की कृति है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ले चल साजन
ले चल साजन
Lekh Raj Chauhan
"सेहत का राज"
Dr. Kishan tandon kranti
आंसूओं की नमी का क्या करते
आंसूओं की नमी का क्या करते
Dr fauzia Naseem shad
Watch who is there for you even when the birds have gone sil
Watch who is there for you even when the birds have gone sil
पूर्वार्थ
विकास
विकास
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हाइकु- शरद पूर्णिमा
हाइकु- शरद पूर्णिमा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मातु शारदे करो कल्याण....
मातु शारदे करो कल्याण....
डॉ.सीमा अग्रवाल
मन में किसी को उतारने से पहले अच्छी तरह
मन में किसी को उतारने से पहले अच्छी तरह
ruby kumari
पत्थर की अभिलाषा
पत्थर की अभिलाषा
Shyam Sundar Subramanian
तारीफ तेरी, और क्या करें हम
तारीफ तेरी, और क्या करें हम
gurudeenverma198
मुक्तक
मुक्तक
महेश चन्द्र त्रिपाठी
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
लक्ष्मी सिंह
"भीषण बाढ़ की वजह"
*प्रणय प्रभात*
जग मग दीप  जले अगल-बगल में आई आज दिवाली
जग मग दीप जले अगल-बगल में आई आज दिवाली
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*मृत्यु : पॉंच दोहे*
*मृत्यु : पॉंच दोहे*
Ravi Prakash
साँप का जहर
साँप का जहर
मनोज कर्ण
ग़र हो इजाजत
ग़र हो इजाजत
हिमांशु Kulshrestha
माँ
माँ
SHAMA PARVEEN
खुद्दार
खुद्दार
अखिलेश 'अखिल'
जर जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
जर जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
सत्य कुमार प्रेमी
दोस्त
दोस्त
Neeraj Agarwal
ये चांद सा महबूब और,
ये चांद सा महबूब और,
शेखर सिंह
वक्त (प्रेरणादायक कविता):- सलमान सूर्य
वक्त (प्रेरणादायक कविता):- सलमान सूर्य
Salman Surya
सभी भगवान को प्यारे हो जाते हैं,
सभी भगवान को प्यारे हो जाते हैं,
Manoj Mahato
काल  अटल संसार में,
काल अटल संसार में,
sushil sarna
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
आलस्य एक ऐसी सर्द हवा जो व्यक्ति के जीवन को कुछ पल के लिए रा
आलस्य एक ऐसी सर्द हवा जो व्यक्ति के जीवन को कुछ पल के लिए रा
Rj Anand Prajapati
Loading...